पौराणिक मान्यता: संजीवनी बूटी लाते समय कसौली की इस ऊंची पहाड़ी पर टिका था हनुमानजी का दायां पांव

कसौली का मंकी प्वाइंट(हनुमान मंदिर )
पौराणिक मान्यता: संजीवनी बूटी लाते समय कसौली की इस ऊंची पहाड़ी पर टिका था हनुमानजी का दायां पांव

प्रजासत्ता|
प्राचीन समय से हिमाचल को देवताओं का स्थान “देवभूमि” के नाम से जाना जाता है। हिमालय पर्वत की शानदार ऊंचाई, अपनी विहंगम सुन्दरता और आध्यात्मिक शांति की आभा के साथ देवताओं का प्राकृतिक घर के सामान प्रतीत होता है। पूरे प्रदेश में 2 हज़ार से ज़्यादा मंदिर व धार्मिक स्थल देश विदेश के लोगों की आस्था का केंद्र बने हुए हैं। आज हम ऐसे ही एक अन्य धार्मिक स्थल की बात कर रहे हैं जो पवन पुत्र हनुमान जी को समर्पित है। यह स्थल पर्यटन नगरी कसौली का प्रसिद्ध मंकी प्वाइंट है। यहां देश विदेश के पर्यटक वर्ष भर आते हैं। यह स्थल भारतीय वायु सेना स्टेशन के तहत आता है इसलिए यहां सुरक्षा का भी पूरा ख्याल रखा जाता है।

रामायणकाल से जुड़ा है संबंध मंकी प्वाइंट कसौली का संबंध रामायणकाल से ही जुड़ा है और इसलिए इसका धार्मिक महत्व श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि जब लंका में राम और रावण युद्ध के दौरान मेघनाद के शक्ति बाण से लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे तो हनुमान जी को संजीवनी बूटी लाने के लिए हिमालय भेजा था। संजीवनी बूटी के बजाए हनुमान जी पूरा हिमालय पर्वत ही उठा लाए थे। हिमालय पर्वत लाते समय उनका दायां पांव कसौली की इस ऊंची पहाड़ी पर टिका था, जिस कारण इस भूखंड की आकृति विशाल दायें पांव की तरह है।

पौराणिक मान्यता: संजीवनी बूटी लाते समय कसौली की इस ऊंची पहाड़ी पर टिका था हनुमानजी का दायां पांव

यहां पर पहाड़ी पर बने मंदिर में खुद को कुदरत की गोद में बैठा हुआ महसूस किया जा सकता है। मंदिर की पहाड़ी में वानरों की टोलियां यहां अठखेलियां करती रहती हैं और कई बार लोगों से प्रसाद भी छीन लेते है। इसलिए यहां खाद्य वस्तुएं ले जाना मना है। यहां से एक ओर शिमला, चायल, श्रीनयना देवी, कांगडा की धौलाधार और ऊपर की तरह हिमाचल की बर्फ से ढ़की नजर आती हैं। इससे दूसरी ओर चंडीगढ़, पंचकूला व मैदानी राज्यों के दृश्य मन मोह लेते हैं।

पौराणिक मान्यता: संजीवनी बूटी लाते समय कसौली की इस ऊंची पहाड़ी पर टिका था हनुमानजी का दायां पांव
पौराणिक मान्यता: संजीवनी बूटी लाते समय कसौली की इस ऊंची पहाड़ी पर टिका था हनुमानजी का दायां पांव
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