धर्मेंद्र सूर्या।
हिमाचल प्रदेश के खूबसूरत जिलों में शुमार चम्बा जिला में स्थित गढ़ माता मंदिर जो अपनी प्रकृतिक खूबसूरती को लेकर देश भर में प्रसिद्ध है। जहाँ हर ओर बिखरी प्रकृतिक छटा लाखों सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है वहीं धार्मिक श्रद्धा भी लाखों लोगों को यहाँ खींच कर लाती है। जो देखने वालों का मन मोह लेते हैं। हर साल हजारों की संख्या में देशी विदेशी सैलानी यहां घूमने के लिए पहुंचते हैं। हैरत इस बात की है कि यहां पर बिजली , पानी ,सडक का बंदोबस्त सरकारें आज तक नहीं कर पाई। अगर कहा जाए कि सरकारों ने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया तो शायद यह भी गलत नहीं होगा। पर्यटक स्थल को विकसित करने को लेकर कई बार स्थानीय नेताओं ने आश्वासन दिए लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हो सका। आजादी के बाद प्रदेश में जो भी सरकारें आई सबने अपनी आंखें मूंद रखी। यहाँ सडक न पहुचने के कारण लोग कई किलोमीटर की पैदल यात्रा कर के यहाँ पहुचते है, पर पानी की सुविधा ना होने के कारण माता के दर्शन करने आये श्रधालुओं को तलाबा का गन्दा पानी पिने पर मजबूर होना पड़ता है या लोगों को प्यासे घर लोटना पड़ता है | लोगों का कहना है कि यहाँ पर पानी न होने के कारण हमें तालाब का पानी पीना पड़ता है तलाब में खचर, घोड़े, भेंसे आदि पानी पीती है वही पानी लोग पीने के लिए मजबूर हैं।
आजादी के इतने सालों के बाद भी उन्हें स्वच्छ पेयजल मयस्सर नहीं हो पा रहा है। विडंबना तो यह है कि फरियाद करें तो किससे। एक तरफ जहां सरकार गांव-गांव स्वच्छ पेयजल पहुंचाने की बात करती है वहीं प्रसिद्ध पर्यटक स्थल गढ़ माता मंदिर पेयजल आपूर्ति की यह बदहाली उसके दावों की पोल खोल रही है।
गढ़ माता के पुजारी गोविन्द सिह का कहना है की आईपीएच विभाग ने पेयजल लाईन बिछाई है, लेकिन जगह ,जगह पानी की पाइपें टूटी हुई है इसकी मुरम्द कोई नहीं करता हर दिन सेकड़ों श्रद्धालु प्यासे मदिर से लोटते है | इस संबंध में जनप्रतिनिध से लेकर जल बोर्ड के अधिकारियों तक से कई बार शिकायत की गई लेकिन समस्या का जस की तस बनी हुई है।