तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा 88 वर्ष के हुए, शऱण देने के लिए भारत को चुकानी पड़ी थी बड़ी कीमत

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Tek Raj


बोद्ध धर्मगुरु दलाई लामा

प्रजासत्ता|
तिब्बत के आध्यात्मिक धर्मगुरु और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाईलामा गुरुवार को मैकलोडगंज में 88वां जन्मदिन मना रहे हैं। उन्हें 61 साल पहले 1959 तिब्बत से भागना पड़ा था। तब से वो भारत में रह रहे हैं। पूर्वोत्तर तिब्बत के एक किसान परिवार में 6 जुलाई 1935 को दलाई लामा तेनज़िन ग्यात्सो का जन्‍म हुआ था। बता दें कि कई आध्‍यात्मिक संकेतों का पालन करने और 13वें दलाई लामा के उत्‍तराधिकारी की खोज के दौरान 2 साल की उम्र में ल्‍हामो थोंडुप स्थित धार्मिक अधिकारियों ने दलाई लामा तेनज़िन ग्यात्सो की पहचान की। इस तरह से उन्हें 14वां दलाई लामा घोषित किया गया।

हालांकि साल 1959 में चीनी शासन के खिलाफ एक असफल तिब्बती विद्रोह करने के बाद वह सैनिक की वेशभूषा में भारत भाग आए। तब से लेकर आजतक वह हिमाचल प्रदेश की धर्मशाला में रह निवास कर रहे हैं। भारत देश में रहकर वह तिब्‍बत की संप्रभुता के लिए अहिंसात्‍मक संघर्ष कर रहे हैं। आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर दलाई लामा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…

साल 1959 में लदाई लामा तिब्बत की राजधानी ल्हासा से पैदल ही भारत के लिए निकल पड़े थे। इस दौरान हिमालय के पहाड़ों को पार करते हुए वह महज 15 दिनों के अंदर भारत की सीमा में आ गए थे। प्राप्त जानकारी के अनुसार, वह 31 मार्च 1959 को भारतीय़ सीमा में दाखिल हुए थे। यात्रा के दौरान उनकी और उनके सहयोगियों की कोई ख़बर नही आने पर कई लोग ये आशंका जताने लगे थे कि उनकी मौत हो गई होगी।

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