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बिजली संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदेशभर में बिजली विभाग के कर्मचारियों का धरना

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प्रजासत्ता|
हिमाचल प्रदेश बिजली विभाग के कर्मचारियों ने नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर प्रदेश भर में धरना प्रदर्शन किया. यह कर्मचारी केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित बिजली संशोधन विधेयक के खिलाफ लामबंद हुए हैं| इस दौरान कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए इसके निजीकरण करने का विरोध किया|

बता दें कि मानसून सत्र 13 अगस्त को संपन्न होगा| 12 जुलाई को जारी लोकसभा बुलेटिन में बताया गया कि सरकार ने मौजूदा संसद सत्र में नए 17 विधेयकों को पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया है| उनमें बिजली (संशोधन) विधेयक भी शामिल है|

अगर मॉनसून सत्र में बिजली विधेयक बिल पेश हो जाएगा, तो उपभोक्ताओं को फायदा होगा| जो कंपनी सस्ती बिजली उपलब्ध करवाए, उपभोक्ता आसानी से उसका कनेक्शन ले सकेंगे.बिजली कानून में प्रस्तावित संशोधनों से वितरण कारोबार से लाइसेंसिंग समाप्त हो जाएगी और इसमें प्रतिस्पर्धा आएगी| इसमें बिजली अपीलीय न्यायाधिकरण (एप्टेल) को मजबूत करने और नवीकरणीय खरीद प्रतिबद्धता (आरपीओ) को पूरा नहीं करने पर जुर्माने भी लगाया जाएगा| इसके अलावा उपभोक्ताओं को बिजली कंपनियों के बीच होने वाली प्रतिस्पर्धा का भी फायदा मिल सकेगा|

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वहीँ विरोध कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से प्रस्तावित बिल के जरिए निजी क्षेत्रों को फायदा पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है| उन्होंने कहा कि संसद के मानसून सत्र में भी इस बिल को लाने की तैयारी हो रही है| ऐसे में समन्वय कमेटी इस बिल का पुरजोर विरोध कर रही है| उन्होंने कहा कि अगर इस बिल को हिमाचल प्रदेश के संदर्भ में देखा जाए, तो इससे औद्योगिक क्षेत्र में निजी क्षेत्रों को बड़ा फायदा मिलेगा और बिजली विभाग के कर्मचारियों को नुकसान होगा|

बिजली विभाग को निजी हाथों में सौंपने की मंशा समन्वय कमेटी कभी पूरी नहीं होने देगी| उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की ओर से इस बिल के जरिए रोजगार को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है| उन्होंने कहा कि निजी बिजली विभाग के निजी हाथों में जाने से न केवल रोजगार पर असर पड़ेगा बल्कि बिजली विभाग का राजस्व भी घट जाएगा|

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उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस बिल को संसद में पेश न किया जाए| प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि विद्युत अधिनियम 2003 ने उत्पादन के निजीकरण की अनुमति दी और अब प्रस्तावित विधेयक में बिजली वितरण का निजीकरण किया जा रहा है| इससे राज्य की बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) दिवालिया हो जाएगी|

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