हिमाचल के प्राइमरी स्कूलों में जूनियर बेसिक टीचर यानि जेबीटी की भर्ती के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने विराम लगा दिया है। बताया जा रहा है कि कोर्ट ने जेबीटी पदों पर भर्ती के नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन के आदेशों को रद्द कर दिया है। अब पूर्व की तरह पहली से पांचवी कक्षा तक के छात्रों को पढ़ाने के लिए जेबीटी प्रशिक्षण प्राप्त बेरोजगारों को ही नौकरी पर रखा जाएगा।
बता दें कि बहुप्रतीक्षित जेबीटी (BTC) बनाम टीजीटी केस (SLP 20743/2021, देवेश शर्मा vs भारत सरकार) में से जुड़े मामले में माननीय सुप्रीमकोर्ट की डिविज़नल बेंच की जजमेंट आई है। जेबीटी की पोस्टों पर अब जेबीटी ही नियुक्त होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट की जजमेंट को बरकरार रखा। इस फैंसले के बाद हिमाचल हाईकोर्ट की जजमेंट अप्रभावी हो जायेगी, जिसमे जेबीटी की पोस्टों पर टीजीटी को मान्यता दी गई थी।
उल्लेखनीय है कि जेबीटी पदों पर भर्ती का यह विवाद पिछले चार-पांच साल से नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन के उन आदेशों के कारण उपजा, जिसमें नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन ने जेबीटी बनने के लिए बीएड डिग्रीधारकों को भी पात्र ठहराया था। नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन ने इन आदेशों के कारण कुछ अन्य प्रदेशों में भी विवाद हुआ।
हिमाचल की बात करें तो यहां अर्से से प्राइमरी स्कूलों में जेबीटी डिप्लोमाधारक ही लगते रहे हैं। नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन के इन फरमानों को हिमाचल में पहले जेबीटी ने कोर्ट में चुनौती दी। फिर बीएड डिग्रीधारक भी नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन के आदेशों की आड़ में कोर्ट गए। हालांकि हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश भी जेबीटी के पक्ष में आए। बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अब देश की शीर्ष अदालत ने भी जेबीटी को ही प्राइमरी टीचर के लिए पात्र माना है।