शिमला ब्यूरो|
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के आदेशों के बावजूद भी बिजली विभाग के कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ नहीं मिलने से नाराज विद्युत कर्मचारी और इंजीनियर सांकेतिक धरना दे रहे हैं। बोर्ड प्रबंधन के रवैये से नाखुश कर्मचारी प्रदेशभर में प्रदर्शन कर रहे हैं। बिजली कर्मचारी और अभियंता ने सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन और नारेबाजी की।
धरने के दौरान विद्युत कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली के साथ-साथ बिजली बोर्ड के 4 छोटे प्रोजेक्ट पॉवर निगम को ट्रांसफर करने के सरकार के फैसले का भी विरोध कर रहे है और वापस बिजली बोर्ड को देने की मांग कर रहे हैं। बोर्ड इंजीनियरों और कर्मचारियों का दावा है कि इन प्रोजेक्टों के लिए जर्मन कंपनी से फंडिंग का बिजली बोर्ड के साथ 550 करोड़ का करार हुआ है। सरकार ने यह प्रोजेक्ट अब पॉवर निगम को देने का फैसला लिया है। ऐसे में राज्य सरकार को 550 करोड़ रुपए के अनुदान से वंचित रहना पड़ेगा।
बता दें कि बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन और इंजीनियर फ्रंट की निदेशक मंडल से बुधवार को हुई बैठक बेनतीजा रही थी। बैठक में कर्मचारियों को ओपीएस बहाली, स्मार्ट मीटर नहीं लगाने और बोर्ड से परियोजनाएं नहीं छीनने का आश्वासन नहीं मिला था। इसके चलते फ्रंट ने आज प्रदर्शन किया। फ्रंट के सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ने कहा कि सरकार ने अगर मांगों को जल्द पूरा नहीं किया तो आने वाले दिनों में उग्र आंदोलन करने से भी गुरेज नहीं किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने सभी विभागों के लगभग 1.36 लाख कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम दे दी है। इन कर्मचारियों का एनपीएस के तहत कटने वाला शेयर मई महीने से बंद हो गया है। मगर, बिजली बोर्ड कर्मचारियों का अभी भी एनपीएस में शेयर जा रहा है। बोर्ड प्रबंधन अपने कर्मचारियों को ओपीएस देने के पक्ष में नहीं है।
इसलिए जून महीने में भी बिजली कर्मचारी प्रदेशव्यापी धरना दे चुके हैं। मगर, तब मुख्यमंत्री सुक्खू के आश्वासन पर इन्होंने अपनी हड़ताल खत्म की और ओपीएस जल्द देने की बात कही गई, लेकिन अभी भी इन्हें ओपीएस नहीं दी गई। अब बिजली कर्मचारी आर-पार की लड़ाई लड़ने की तैयारी में हैं। बिजली बोर्ड में 10 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को OPS मिलनी है।