प्रजासत्ता|
हिमाचल प्रदेश के छ: बार मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री रह चुके राजा वीरभद्र सिंह को राजनीति इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। 13 वर्ष की आयु में बुशहर रियासत की राजगद्दी संभालने वाले पहले राजा वीरभद्र सिंह थे। बुशहर रियासत के राजा पदमदेव सिंह के निधन के बाद वर्ष 1947 में वीरभद्र सिंह ने राजगद्दी संभाली थी। आजाद भारत में जहां राजशाही प्रथा समाप्त हो गई थी, बावजूद इसके राजा वीरभद्र सिंह का परंपराओं के तहत राजतिलक किया गया था।
हिमाचल प्रदेश की राजनीति का अविसमरणीणय चेहरा अब हमारे बीच नहीं है। लेकिन उनकी पहली जयंती के अवसर पर हर कोई उन्हें नमन कर रहा है। आजाद भारत में राजशाही प्रथा समाप्त होने के बाद भी राजगद्दी संभालने के साथ-साथ वीरभद्र सिंह ने हिमाचल प्रदेश की कमान छह बार बतौर मुख्यमंत्री कमान संभाली। कृष्ण वंश के 122वें राजा वीरभद्र सिंह ने प्रदेश को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में काफी बड़ी भूमिका अदा की।
बुशहर रियासत की शान वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1934 में शोणितपुर जिसे वर्तमान समय में सराहन के नाम से जाना जाता है में हुआ था। देवी देवताओं की अनुकंपा में वीरभद्र सिंह का जीवनकाल आगे बढ़ा। वर्ष 1947 में राजा पदमदेव का देहांत होने के बाद वीरभद्र सिंह को बुशहर रियासत की राजगद्दी संभाली गई थी।
राजधानी शिमला के बिशप कॉटन स्कूल में जब रामपुर बुशहर रियासत के राजकुमार वीरभद्र ने दाखिला लिया था तो किसी ने नहीं सोचा होगा कि स्कूल का नाम उस शख्सियत से जुडऩे जा रहा है जो आगे चलकर 6 बार हिमाचल का मुख्यमंत्री बनेगा। वहीं वीरभद्र सिंह अक्सर कहते थे कि उन्हें तो प्रोफेसर बनना था, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की वजह से वह राजनीति में आए। स्कूल पास आउट करने के बाद वीरभद्र ने दिल्ली के सेंटस्टी फेंस कॉलेज में हिस्ट्री ऑनर्स में बीए और एमए की। हसरत थी हिस्ट्री का प्रोफेसर बन छात्रों को पढ़ा ने की। पर विधि को कुछ और ही मंजूर था।
वीरभद्र सिंह का विवाह दो बार हुआ। 20 साल की उम्र में जुब्बल की राजकुमारी रतन कुमारी से उनकी पहली शादी हुई। लेकिन कुछ वर्षों बाद ही रतन कुमारी का देहांत हो गया। इसके बाद 1985 में उन्होंने प्रतिभा सिंह से शादी की। वीरभद्र और प्रतिभा के पुत्र विक्रमादित्य सिंह भी वर्तमान में शिमला ग्रामीण से विधायक हैं।
हिमाचल में सबसे अधिक छह बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड वीरभद्र सिंह के नाम दर्ज है। 1983 से 1985 पहली बार, फिर 1985 से 1990 तक दूसरी बार, 1993 से 1998 में तीसरी बार, 1998 में कुछ दिन चौथी बार, फिर 2003 से 2007 पांचवीं बार और 2012 से 2017 छठी बार मुख्यमंत्री बने।
हिमाचल में सबसे अधिक छह बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड वीरभद्र सिंह के नाम दर्ज है। 1983 से 1985 पहली बार, फिर 1985 से 1990 तक दूसरी बार, 1993 से 1998 में तीसरी बार, 1998 में कुछ दिन चौथी बार, फिर 2003 से 2007 पांचवीं बार और 2012 से 2017 छठी बार मुख्यमंत्री बने।वर्तमान में वीरभद्र सिंह अर्की से विधायक थे। इंदिरा गांधी की सरकार में वीरभद्र सिंह दिसंबर 1976 से 1977 तक केंद्रीय पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री रहे।
रामपुर-बुशहर शाही परिवार के वंशज, वीरभद्र सिंह, जो ‘राजा साहिब’ के नाम से लोकप्रिय थे, अब हमारे बीच नहीं रहे। 50 सालों तक हिमाचल प्रदेश की राजनीति पर राज करने वाले हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह का निधन 87 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी की वजह से 08 जुलाई 2021 को तड़के 3.40 बजे आईजीएमसी अस्पताल में हुआ था।
वीरभद्र सिंह ने 50 सालों तक सिर्फ हिमाचल प्रदेश की राजनीति पर राज नहीं किया बल्कि पांच दशकों से अधिक समय तक हिमाचल प्रदेश के लोगों के दिलों पर शासन किया। कहा जाता है कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू उन्हें राजनीति में लेकर आए थे। वीरभद्र सिंह 9 बार विधायक, 5 बार सांसद और 6 बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वीरभद्र सिंह वह केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे हैं।
वीरभद्र सिंह कांग्रेस की पुरानी पीढ़ी का हिस्सा थे, जिन्होंने ना केवल हिमाचल में बल्कि पूरे देश में अपनी राजनीति का डंका बजाया। वीरभद्र सिंह ने 27 साल की उम्र में राजनीति में एंट्री की थी। कहा जाता है कि वीरभद्र सिंह जैसा लोकप्रिय नेता प्रतिद्वंद्वी भाजपा हिमाचल में कभी लेकर नहीं आ पाई। हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र की लोकप्रियता का मुकाबला करने वाला कोई दूसरा नेता नहीं था। वह अपने भाषणों में कहते थे, ” “मेरी जनता मेरी सबसे बड़ी ताकत है।” वीरभद्र सिंह को लोग इतना प्यार करते थे, उनकी सार्वजनिक अपील ऐसी थी कि वे नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद कभी भी अपने निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए नहीं जाते थे। फिर भी वह आराम से हर बार चुनाव जीत जाते थे। अपने निर्वाचन क्षेत्र में जाने के बजाय वह कांग्रेस के अभियान का नेतृत्व करते हुए राज्य का दौरा करते थे।