विजय शर्मा । सुन्दरनगर
शिक्षकों की सरकार कोई चिंता नहीं कर रही हैं। गत 13 वर्षों से पूरे समर्पण भाव से अपनी सेवाएं तो दे रहे हैं, लेकिन अपने कल के लिए चिंतित हैं। ‘गलाणे जो मास्टर पर तनख्वाह मजदूरां ते भी घट्ट’ यह कहना है विशेष शिक्षकों का। इनका दर्द गुरुवार को उस समय फूट पड़ा जब पत्रकारों ने जानकारी ली।
जानकारी के मुताबिक शिक्षा खंड विशेष आवश्यकता के बच्चों की शिक्षा के लिए सरकार ने वर्ष 2010-11 में विशेष डिप्लोमाधारकों को विशेष एजुकेटर के पद पर एसएसए के तहत तैनाती दी जो आज तक छठीं से जमा दो तक की कक्षाओं को ईमानदारी पूर्वक पढ़ाने में अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। क्योंकि इन पदों पर कार्यरत सभी शिक्षकों ने विशेष डिप्लोमा हासिल किया है, साथ में जेबीटी टेट और जेबीटी व टीजीटी के आर एंड पी नियमों के साथ एनसीईआरटी की तमाम निर्धारित शर्तों को भी पूरा करते हैं।
शिक्षकों का कहना है कि वे मात्र 8910 रुपए की पगार पर न केवल अपना बल्कि परिवार का भी पोषण कर रहे हैं जो अब असंभव दिखने लगा है। उन्हें आज तक न तो कोई वेतन वृद्धि मिली और न ही मेडिकल, महंगाई भत्ता या कोई अन्य वित्तीय लाभ। उनका कहना है कि वे घरों से 100 से 150 मील दूर अपनी सेवाएं ग्राम स्तर पर बिना किसी छुट्टी अथवा अतिरिक्त भत्ते के दे रहे हैं।
इसके बावजूद प्रदेश सरकार उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही जबकि महंगाई के इस दौर में मजदूर से भी कम पगार पर घर से दूर अलग चूल्हा जलाना दूभर होता जा रहा है। विशेष शिक्षक संघ से जुड़े सुनंदा शर्मा का कहना है कि उनकी सेवाओं के प्रति निष्ठा और पद की महत्ता को स्वीकार करते हुए प्रदेश सरकार उनके लिए विशेष पद का सृजन कर उन्हें भी समकक्ष पदों का लाभ प्रदान करें ।