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अडाणी मामले को लेकर विपक्ष का मार्च

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Parliament Budget Session: अडाणी मामले की शिकायत लेकर विपक्ष के नेता प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर तक मार्च कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, विपक्ष के मार्च को विजय चौक पर रोक लिया गया है। इससे पहले सुबह विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद कक्ष में विपक्षी दलों के सांसदों की बैठक हुई।

सूत्रों के अनुसार, विपक्षी नेता सभी सांसदों के हस्ताक्षर वाला प्रस्ताव पत्र जमा कर सकते हैं और अडाणी मुद्दे पर अपनी शिकायत जांच एजेंसी को सौंप सकते हैं। बता दें कि विपक्षी पार्टी के नेताओं के मार्च के मद्देनजर विजय चौक पर भारी सुरक्षा तैनात की गई है। विपक्ष अडानी मुद्दे को उठाता रहा है और हिंडनबर्ग-अडानी रिपोर्ट की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच की मांग करता रहा है।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हमने अडानी मामले की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग की। हालांकि, भाजपा जेपीसी नहीं चाहती है क्योंकि यह भ्रष्टाचार को सामने लाएगी और उनके असली चेहरे को उजागर करेगी। विपक्ष में रहने तक जेपीसी चाहते थे, अब डरे हुए हैं।

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बता दें कि एक महीने के ब्रेक के बाद सोमवार को संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू हो गया। अवकाश विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समितियों को अनुदान की मांगों की जांच करने और उनके मंत्रालयों या विभागों से संबंधित रिपोर्ट बनाने में सक्षम बनाने के लिए था। विपक्ष के नियमित विरोध पर सदन में हंगामे और विरोध के बीच संसद को भी बार-बार व्यवधान का सामना करना पड़ा है।

बैठक में 16 विपक्षी दलों ने लिया था हिस्सा

इससे पहले सोमवार को संसद में राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक में 16 दलों ने हिस्सा लिया था। इन दलों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), समाजवादी पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), आम आदमी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, शिवसेना (उद्धव ठाकरे), मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, राष्ट्रीय जनता दल, झारखंड मुक्ति मोर्चा, विदुथलाई चिरुथिगल काची और एनसी शामिल थे।

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यूएस-आधारित शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की संबंधित रिपोर्ट 24 जनवरी को सामने आई थी, जिसमें दावा किया गया कि अडानी समूह के पास कमजोर व्यापारिक बुनियादी सिद्धांत थे और समूह स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग धोखाधड़ी में शामिल था।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अडानी समूह की कंपनियों पर हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट से उत्पन्न मुद्दे पर एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया। समिति में छह सदस्य शामिल होंगे, जिसकी अध्यक्षता शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एएम सप्रे करेंगे।



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