
प्रजासत्ता।
देश में सेना के जवानों की खुदकुशी के मामलों ने इस विषय पर सोचने पर मजबूर कर दिया है। ये बात केंद्र सरकार के खुद के ही आंकड़ों से सामने आई है कि पिछले कुछ सालों में देश की सुरक्षा में लगे जवानों में आत्महत्या की दर बढ़ी है।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया कि पिछले एक दशक में अर्द्धसैनिक बलों के 1,205 जवानों ने आत्महत्या की है, जिनमें सर्वाधिक मामले वर्ष 2021 में आए हैं। बीते मंगलवार 29 मार्च को लोकसभा में केंद्रीय राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने पिछले 10 साल में अर्द्धसैनिक बलों के कर्मियों की खुदकुशी के बारे में भी सदन को जानकारी दी।

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि पिछले 10 साल में अर्द्धसैनिक बलों के 1,205 जवानों ने खुदकुशी (Paramilitary Forces Suicide) की है जिनमें सर्वाधिक मामले वर्ष 2021 में आए।
राय ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि 2020 में 143 जवानों ने खुदकुशी की। इससे पहले 2019 में 129 मामले, 2018 में 96 मामले, 2017 में 125 मामले, 2016 में 92 मामले, 2015 में 108 मामले , 2014 में 125 मामले, 2013 में 113 मामले और 2012 में 118 ऐसे मामले दर्ज किये गये। वर्ष 2021 में ऐसे 156 मामले दर्ज किये गए ।
जवानों की आत्महत्या के पीछे सरकार घरेलू समस्याओं, बीमारी और वित्तीय समस्याओं को कई कारणों में मानती है। हालांकि गृह मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति इन आत्महत्याओं के पीछे मानसिक और भावनात्मक तनाव को भी वजह मानती है।
