प्रजासत्ता नेशनल डेस्क|
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शनिवार को कहा कि एयर इंडिया का निजीकरण मई के अंत तक पूरा होने की संभावना है। पुरी ने कहा कि सोमवार को एक बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि सरकार 64 दिनों के भीतर वित्तीय बोलियों को बंद कर देगी
न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए उन्होंने कहा, “हमने फैसला किया है कि एयर इंडिया में 100 प्रतिशत विनिवेश होगा| यह विकल्प विनिवेश और गैर-विनिवेश के बीच नहीं है. यह विनिवेश और बंद होने के बीच है| एयर इंडिया पर्स्ट क्लास रेटेड संपत्ति है, लेकिन उस पर ₹ 60,000 करोड़ रुपये का कर्ज है| हमें उसे साफ-सुथरा करना है|” उन्होंने कहा, “उसे नया ठिकाना ढूंढना ही होगा|”
पिछले महीने कई संस्थाओं ने एयरलाइन में सरकार की हिस्सेदारी खरीदने के लिए बोली लगाने में रुचि व्यक्त की थी| मंत्री ने कहा, “पिछली बैठक में, सोमवार को यह निर्णय लिया गया था कि शॉर्टलिस्ट किए गए बोलीदाताओं (एयर इंडिया विनिवेश के लिए) को सूचित किया जाए कि बोलियों को 64 दिनों के भीतर आना है … इस बार सरकार दृढ़ संकल्प है और कोई हिचकिचाहट नहीं है|”
उन्होंने हवाई अड्डों के निजीकरण का विरोध कर रही कांग्रेस पार्टी के नेता को भ्रमित पार्टी बताते हुए कहा कि जब वे सत्ता में थे जो कुछ बेहतर काम किए उनमें दिल्ली और मुंबई के हवाई अड्डों का निजीकरण था| एक दिन पहले पुरी ने टाइम्स नेटवर्क के भारत आर्थिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘अब हम नयी समयसीमा पर विचार कर रहे हैं| मूल्य लगाने के इच्छुक पक्षों के लिए अब डाटा-रुम (सूचना संग्रह) खोल दिया गया है. वित्तीय बोलियों के लिए 64 दिन का समय होगा. उसके बाद सिर्फ फैसला लेने और एयरलाइन हस्तांतरित करने का निर्णय ही शेष होगा|”
बता दें कि एयर इंडिया सरकार की अकेले की मिल्कियत है| वह इसमें अपनी 100 की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए खरीदार तलाशने में लगी है| लाभ में चलने वाली इंडियन एयरलाइंस का एयर इंडिया में 2007 में विलय कर दिया गया था| उसके बाद यह घाटे में डूबती गयी| पुरी ने कहा, ‘‘हमारे पास कोई विकल्प नहीं है| या तो हमें इसका निजीकरण करना होगा या इसे बंद करना होगा| एयर इंडिया अब पैसा बना रही है, लेकिन हमें अभी भी प्रतिदिन 20 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है| कुप्रबंधन की वजह से एयर इंडिया का कुल कर्ज 60,000 करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है|”