प्रजासत्ता नेशनल डेस्क|
केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते महिलाओं को भारत के सशस्त्र बलों में परमानेंट कमीशन के लिए राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रवेश देने की अनुमति दे दी है| केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी| केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एनडीए और नेवल अकादमी में महिलाओं को दाखिला मिलेगा और इसके लिए उसकी ओर से नीति व प्रक्रिया तय की जा रही है|
सुप्रीम कोर्ट में बताया गया है कि सरकार ने ये निर्णय तो कर लिया है कि महिला कैडेट्स को इन दोनों संस्थानों में दाखिला मिलेगा लेकिन किस प्रक्रिया के तहत, इसे अंतिम स्वरूप दिया जा रहा है मामले की सुनवाई के दौरान ASG ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया, ‘मेरे पास एक खुशखबरी है कि रक्षा सेनाओं के प्रमुखों और सरकार ने आपसी बैठक में ये तय कर लिया है कि अब महिलाओं को एनडीए और नेवल अकादमी में प्रशिक्षण के बाद स्थाई कमीशन अधिकारियों के रूप में नियुक्त किया जाएगा. ‘ बस प्रक्रिया को भी निर्णायक रूप शीघ्र ही प्रदान कर दिया जाएगा
इस पर जस्टिस एसके कौल की बेंच ने कहा कि हमें यह जानकर बेहद खुशी हुई कि सशस्त्र बलों ने खुद महिलाओं को एनडीए में शामिल करने का फैसला किया है| सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा, हम चाहते हैं कि रक्षा बल लैंगिक समानता के प्रति अधिक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाएं| बजाय इसके कि अदालत उन्हें ऐसा करने का निर्देश दे|
अदालत ने केंद्र को हलफनामा दाखिल करने के लिए दस दिनों का समय दिया है| सुप्रीम कोर्ट 22 सितंबर को मामले की सुनवाई करेगा दरअसल 17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को अब एनडीए यानी नेशनल डिफेंस एकेडमी की परीक्षा में भी बैठने की अनुमति दे दी थी| यह आदेश इसी साल 5 सितंबर को होने वाली एनडीए की परीक्षा से लागू हो गया|
मामले की सुनवाई के दौरान सेना ने कहा था कि एनडीए परीक्षा में महिलाओं को शामिल न करना पॉलिसी डिसिजन है| इस पर शीर्ष अदालत ने फटकार लगाते हुए कहा कि यदि यह पॉलिसी डिसिजन है तो यह भेदभाव से पूर्ण है| हालांकि 5 सितंबर को परीक्षा में बैठने का आदेश सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन होगा|
इससे पहले केस की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि महिलाओं को एनडीए परीक्षा में मौका न देना, उनके मूलभूत अधिकारों के हनन का मामला नहीं है| यही नहीं, केंद्र सरकार ने कहा था कि एनडीए के जरिए आने वाले पुरुष कर्मचारियों को उनके मुकाबले करियर में कोई स्पेशल बढ़त नहीं मिलती| महिलाओं के लिए सेना में एंट्री का एकमात्र रास्ता शॉर्ट सर्विस कमीशन ही रहा है|
शीर्ष अदालत ने सेना से महिलाओं को भी परमानेंट कमीशन में लिए जाने को कहा था| यही नहीं अदालत ने सेना के नियमों को गलत करार देते हुए कहा था कि ये बेतुके और मनमाने हैं| दरअसल वकील कुश कालरा की ओर से महिलाओं को एनडीए और इंडियन नेवल अकादमी में शामिल किए जाने की मांग को लेकर अर्जी दाखिल की गई थी| फिलहाल इन दोनों अकादमियों में महिलाओं की भर्ती नहीं की जाती| सुप्रीम कोर्ट ने इस अर्जी पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था|