प्रजासत्ता नेशनल डेस्क|
बहुचर्चित चारा घोटाले से जुड़े पांचवें मामले में भी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद अध्यक्ष लालू यादव दोषी करार दिए गए हैं। रांची की सीबीआई कोर्ट ने डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ के ग़बन के मामले में उन्हें दोषी करार दिया है। कोर्ट ने इस मामले में 24 लोगों को बरी कर दिया है, जबकि लालू के करीबी नेता जगदीश शर्मा और ध्रुव भगत समेत 35 लोगों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई है।
हालांकि कोर्ट ने लालू यादव के लिए सजा का ऐलान नहीं किया है. उन्हें और बचे हुए अन्य दोषियों को 21 फरवरी को सजा सुनाई जाएगी। दोषी करार देने के बाद उन्हें फिर से कस्टडी में ले लिया गया है और रिम्स भेज दिया गया है। सजा का ऐलान के दिन अगर लालू यादव को भी तीन साल या उससे कम सजा मिलती है तो कोर्ट से ही जमानत मिल जाएगी। बता दें कि मामले के मूल 170 आरोपियों में से 55 की मौत हो चुकी है, सात सरकारी गवाह बन चुके हैं, दो ने अपने ऊपर लगे आरोप स्वीकार कर लिए हैं और छह फरार हैं।
बता दें कि चारा घोटाला मामला जनवरी 1996 में पशुपालन विभाग में छापेमारी के बाद सामने आया था। सीबीआई ने जून 1997 में प्रसाद को एक आरोपी के रूप में नामित किया था। एजेंसी ने प्रसाद और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के खिलाफ भी आरोप तय किए थे। सितंबर 2013 में निचली अदालत ने चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में प्रसाद, मिश्रा और 45 अन्य को दोषी ठहराया और प्रसाद को रांची जेल भेज दिया गया था।
गौर हो कि 950 करोड़ रुपये का यह घोटाला अविभाजित बिहार के विभिन्न जिलों में धोखाधड़ी कर सरकारी खजाने से सार्वजनिक धन की निकासी से संबंधित है। राजद सुप्रीमो को चारा घोटाला मामले में 14 साल जेल की सजा सुनाई गई है और कुल 60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। उन्हें दुमका, देवघर और चाईबासा कोषागार से जुड़े चार मामलों में जमानत मिल गई है।