प्रजासत्ता नेशनल डेस्क|
जातीय जनगणना को लेकर देश की सियासत एक बार फिर गर्माने लगी है। विपक्ष दलों के इस मुद्दे पर लगातार बयानों के बाद अब बीजेपी भी आक्रामक रुख अपनाने को तैयार में है। बता दें कि जातिगत जनगणना को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। पहले कर्नाटक में राहुल गांधी ने इसके समर्थन में बयान दिया और उसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसको लेकर पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी।
हालाँकि बीजेपी ने इससे निपटने के लिए अपना प्लान तैयार कर लिया है मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीजेपी सूत्रों के हवाले से खबर है कि पार्टी जातिगत जनगणना पर कांग्रेस के दोहरे मानदंडों का पर्दाफाश करने के लिए प्लान तैयार कर चुकी है। पार्टी का मानना है कि जातिगत जनगणना मुद्दे पर कांग्रेस बीजेपी पर दबाव डालने का प्रयास कर रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी के मुताबिक 1951 में जब अनौपचारिक रूप से जाति जनगणना की बात उठी थी तब बतौर प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उसका विरोध किया था। बाद में 27 जून 1961 को मुख्यमंत्रियों के लिखे पत्र में पंडित नेहरू ने आरक्षण को लेकर राजनीति पर चिंता जताई थी। इस पत्र में नेहरू ने आगाह किया था कि देश को नंबर वन बनना है तो प्रतिभा को आगे बढ़ाना होगा। बाद में इंदिरा गांधी ने भी जातिगत आधार पर आरक्षण देने की सिफारिश करने वाली मंडल कमीशन की रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं की थी। इंदिरा गांधी सरकार ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
भाजपा ने अपने प्रवक्ताओं के लिए तैयार एक नोट में बीजेपी ने लिखा है कि इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद राजीव सरकार ने भी मंडल आयोग की रिपोर्ट पर अमल नहीं किया था। केवल यही नहीं, जब वीपी सिंह सरकार ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का फैसला किया तो बतौर नेता विपक्ष राजीव गांधी ने इसे देश को बांटने का प्रयास बताया था और कहा था कि यह प्रयास अंग्रेजों के प्रयास से अलग नहीं है।
बताया जा रहा है कि बीजेपी के इस आंतरिक नोट में लिखा गया है कि बतौर गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने 2010 में तत्कालीन कानून मंत्री वीरप्पा मोइली को नेहरू की सोच के बारे में बताया था और जातिगत जनगणना की मांग के गंभीर परिणाम के प्रति चेताया था।