प्रजासत्ता|
भारतीय महिला सैनिक भी अब देश की रक्षा का जिम्मा उठाएंगी। भारतीय सेना अब नारी शक्ति से लैस हो गई है। अब तक महिलाएं केवल सैन्य अधिकारी हैं। पहली बार महिलाओं को गैर-अधिकारी श्रेणी में शामिल किया गया है। बंगलुरू स्थित कोर ऑफ मिलिट्री पुलिस में कड़ी ट्रेनिंग के बाद 83 महिलाओं को सेना में शामिल किया गया।
बता दे कि महिला सैनिकों के पहले बैच की ट्रेनिंग 6 जनवरी 2020 को शुरू हुई थी। महिला दस्ते ने कुल 61 हफ्ते तक कड़ी ट्रेनिंग की। पहले 19 हफ्ते की बुनियादी मिलिट्री ट्रेनिंग और फिर आधुनिक मिलिट्री-पुलिस ट्रेनिंग दी गई।
इन महिला सैनिकों को पुलिसिंग ड्यूटी और युद्धबंदियों के प्रबंधन के साथ-साथ सभी वाहनों के मेंटेनेंस, ड्राइविंग और सिग्नल कम्युनिकेशन की भी ट्रेनिंग दी गई। ये महिला सैनिक अब पुरुष साथियों के साथ देश की रक्षा में सक्रिय भूमिका अदा कर सकेंगी।
सेना में महिला अधिकारियों की भर्ती 1992 में शुरू हुई थी। तब महिला सिर्फ शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत ही चुनिंदा विंग और ब्रांच में ही कार्य कर सकती थीं। शॉर्ट सर्विस कमीशन होने के चलते वे सिर्फ लेफ्टिनेंट कर्नल के पद तक ही पहुंच सकती थीं।
बता दें, 2017 में महिलाओं को जवान रैंक पर भर्ती करने का फैसला लिया गया था। सेना 2030 तक 1700 महिला सैनिकों को कोर ऑफ मिलिट्री पुलिस में शामिल करने की योजना बना रही है। इससे धीरे-धीरे उन्हें सेना का अहम हिस्सा बनाया जा सकेगा।
बड़े पद के योग्य मानी जाएंगी
बताते चलें कि, सेना ने साल 2019 में महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन देने का घोषणा किया था। लेकिन उससे पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने उन 332 महिला अधिकारियों को भी स्थाई कमीशन देने का आदेश दे दिया था जो पिछले कई सालों से सेना में अपनी सेवाएं दे रही थीं। स्थायी कमीशन के मायने ये हैं कि अब सेना में महिला अधिकारी भी कर्नल ब्रिगेडियर या फिर जनरल रैंक के पद तक पहुंचने के लिए योग्य मानी जाएंगी