प्रजासत्ता नेशनल डेस्क|
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लोगों पर वैक्सीन लगाने के लिए विवश करने और ट्रायल डेटा सार्वजनिक करने की याचिका पर नोटिस जारी किया| हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीन लगाने के लिए विवश करने पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार किया है|
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वैक्सीन के लिए विवश करने के मामले में फिलहाल आदेश जारी नहीं कर सकते| अदालत को दूसरे पक्ष की बात भी सुननी होगी| याचिकाकर्ता का कहना था कि कई सेवाओं में वैक्सीन को अनिवार्य बनाया गया है| इसे बंद किया जाए| क्योंकि वैक्सीन लगवाना अनिवार्य नहीं स्वैच्छिक है|
जस्टिस एल नागेश्वर रॉव ने सुनवाई करते हुए कहा कि देश में 50 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है| आप क्या चाहते हैं कि वैक्सीनेशन कार्यक्रम को बंद कर दिया जाए| देश में पहले ही वैक्सीन हेसिसटेंसी चल रही है| WHO ने भी कहा है कि वैक्सीन हेसिसटेंसी ने बहुत नुकसान किया है| क्या आपको लगता है कि यह बड़े जनहित में है| जब तक हम नहीं पाते कि निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा कुछ गंभीर रूप से गलत किया गया है| हम वैक्सीन हैसिसटेंसी से लड़ रहे हैं तो ऐसी याचिकाएं लोगों के मन में संदेह पैदा नहीं कर रही हैं| हमें कुछ आशंका है कि एक बार जब हम इस याचिका पर विचार करते हैं तो यह संकेत नहीं देना चाहिए कि हम वैक्सीन हिचकिचाहट को बढ़ावा दे रहे हैं|
खबर इनपुट एनडीटीवी