प्रजासत्ता नेशनल डेस्क|
कोरोना संक्रमण पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को केंद्र एवं राज्य सरकारों को बड़ा कदम उठाने के लिए कहा। कोर्ट ने कहा कि कोरोना संक्रमण को काबू में करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को लॉकडाउन लगाने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि लॉक डाउन लगाए जाने की स्थिति में समाज के उन लोगों का विशेष खयाल रखा जाना चाहिए जो गरीब हैं या जिनके पास जीने खाने के उचित साधन नहीं हैं। गौरतलब है कि देश में कोविड महामारी के बिगड़ते हालात पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ने 30 अप्रैल को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि केंद्र सरकार 3 मई की आधीरात से पहले सुनिश्चित करे कि दिल्ली में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं हो। गौरतलब है कि दिल्ली के सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं। जयपुर गोल्डेन और बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी की वजह से कई मरीजों की जान चली गयी थी। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर 4 दिन के भीतर आपातकाल के लिए ऑक्सीजन का बफर स्टॉक तैयार करे। ये स्टॉक एक जगह पर न होकर अलग अलग जगह पर हो। यह बफर स्टॉक राज्यों को आबंटित कोटे के अतिरिक्त होगा।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि केंद्र हॉस्पिटल में भर्ती के लिए राष्ट्रीय नीति बनाये और राज्य सरकारें उसका अनुसरण। देश के नागरिक को किसी भी राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश में अस्पताल में भर्ती करने, दवाई देने से इसलिए इंकार नहीं किया जा सकता कि उसके पास स्थानीय पहचान पत्र नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैलने में कहा है कि कोविड वैक्सीनेशन के लिए सेना के संसाधनों के उपयोग पर विचार करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी साफ कर दिया है कि सोशल मीडिया पर किसी भी सहायता की मांग / डिलीवरी से जुड़ी कोई जानकारी पोस्ट पर करने पर कोई रोक नहीं हो। अगर प्रशासन परेशान करता है तो कोर्ट का सख्त रुख झेलना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस आदेश की कॉपी सभी राज्यों डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को भेजी जाए। गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर ऑक्सीजन और दवा की शिकायत करने पर उत्तर प्रदेश में कुछ लोगों पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया है।
पहले से ज्यादा घातक है कोरोना की दूसरी लहर
कोरोना की दूसरी लहर पहले से ज्यादा संक्रामक और घातक है। यह तेजी से लोगों को संक्रमित कर रही है। ऐसे में समय-समय पर राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन लगाने का सुझाव दिया गया है लेकिन पीएम मोदी ने राज्य सरकारों से लॉकडाउन को अंतिम विकल्प के रूप में लागू करने की सलाह दी है। हालांकि, कई राज्यों ने अपने यहां लॉकडाउन लगाया है। अब सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद केंद्र राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बारे में विचार कर सकता है।