प्रजासत्ता नेशनल डेस्क|
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा किसानों से मिलने के लिए सोमवार सुबह लखीमपुर खीरी पहुंचने वाली थीं, लेकिन सोमवार सुबह उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के हरगांव से उन्हें गिरफ्तार किया गया, जब वह लखीमपुर खीरी जा रही थीं, जहां रविवार को हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी।
रविवार की घटना के बाद कई अन्य विपक्षी नेताओं को भी लखीमपुर खीरी जाने से रोक दिया गया है। जब प्रियंका गांधी ने लखनऊ का दौरा किया, तो उनके काफिले को रोक दिया गया और उत्तर प्रदेश पुलिस ने कौल हाउस को घेर लिया, जहां कांग्रेस नेता यूपी की राजधानी के दौरे के दौरान रुकती हैं।
इसके बाद प्रियंका बगल के गेट से अपने आवास से निकल कर एक कार में बैठ गईं। कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा उन्हें लखीमपुर खीरी ले गए।
सोमवार की सुबह करीब छह बजे प्रियंका को हरगांव पहुंचते ही रोक लिया गया। गिरफ्तारी वारंट देखने की मांग करने से पहले प्रियंका और यूपी पुलिस के बीच बहस भी हुई। कांग्रेस की युवा शाखा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने घटना का एक वीडियो ट्वीट किया।
प्रियंका को यह कहते हुए सुना जा सकता है, “मैं उन लोगों से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हूं, जिन्हें आप लोगों ने मार डाला। आप जिस सरकार का बचाव कर रहे हैं। पीड़ितों को एक वाहन द्वारा कुचल दिया गया था। मैं उनसे ज्यादा महत्व नहीं रखता।”
उन्होंने यह भी कहा, “मैं घर से बाहर कदम रखकर कोई अपराध नहीं कर रही हूं। मैं सिर्फ प्रभावित परिवारों से मिलना चाहती हूं और उनका दुख बांटना चाहती हूं। मैं क्या गलत कर रही हूं? अगर मैंने कुछ गलत किया है, तो आप (यूपी पुलिस) ) एक वारंट लेकर आए। आप (यूपी पुलिस) मुझे, मेरी कार को रोक रहे हैं, लेकिन किस कारण से?”
इसके बाद पुलिस कर्मियों ने उसे हिरासत में लिया और पीएसी कार्यालय ले आए। प्रियंका के साथ आए कांग्रेस के नेताओं ने धरना देकर उनकी गिरफ्तारी का विरोध किया।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि प्रियंका की गिरफ्तारी ने साबित कर दिया कि भारत की राजनीतिक व्यवस्था से लोकतंत्र खत्म हो गया है। लल्लू ने कहा, “हम विरोध करने के अपने अधिकारों के भीतर हैं और हम इस तरह के दमनकारी उपायों से डरने वाले नहीं हैं।”