प्रजासत्ता।
भारत देश में बिना किसी भेदभाव के हर नागरिक को समानता का अधिकार हमारे संविधान में दिया गया एक मूलभूत अधिकार है। मगर इससे अलग, एक देश के रूप में भारतीय समाज की हकीकत हमेशा से बहुत क्रूर और असभ्य रही है। पैदा होते ही जाति के आधार पर हर शख्स का वर्गीकरण हो जाता है। हालांकि हमारे संविधान के अनुसार सभी को मतदान का अधिकार है। लेकिन फिर भी राजनीतिक दल इसे अपने फायदे के हिसाब से जातियों में बांटकर इस्तेमाल करते हैं।


खासकर चुनावी समय में लोगो को धर्म और जाति के आधार पर बांटने की कोशिश की जाती रही है। लोगों के असभ्य ब्यान देश की अखंडता और एकता को खंडित करने का काम करते हैं ऐसा ही एक मामला हिमाचल विधानसभा चुनाव में सामने आया है। जहां एक राजनीतिक दल के चुनाव प्रचार के दौरान दलित जातियों को लेकर टिपण्णी की गई है।जिसको लेकर एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है।
वीडियो मे एक शख्स यह कहता हुआ नज़र आ रहा है कि है कि सवर्णों के इसमें लोहार और कोली जाति के लोगों के यहां जाने की जरूरत नहीं है, न मनाने की जरूरत है।अगर सवर्णों के 70 प्रतिशत लोग इकट्ठे हो गए तो हमारा उम्मीदवार जीत जायेगा। और एक इतिहास हमने बनाना है। अपने लेवल पर रिश्तेदारी और भाईचारे में लोगों को जागरूक करने की बात कर रहा है।
हालांकि जिस राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी के उम्मीदवार के लिए यह प्रचार किया जा रहा है, उनकी तरफ से इसको लेकर पार्टी के अध्यक्ष रूमित सिंह से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह बयान पार्टी की तरफ से नही दिया गया है। बयान देने वाले के अपने निजी विचार हो सकते हैं, पार्टी से इसका कोई लेना देना नही है। हम समानता की बात करते हैं। इसी लिए हमने 7 आरक्षित सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारा है।
चुनाव में जातिगत जहर घोलता यह वीडियो किस जगह का है, इसको लेकर जानकारी अभी पूरी तरह से सामने नहीं आई है। लेकिन इतना साफ है कि यह सिरमौर जिला का है। अब देखने वाली बात है की इसको लेकर प्रशासन और चुनाव आयोग क्या कदम उठाता है, यह देखने वाला विषय है। लेकिन इस तरह के शर्मनाक बयान समाज को बांटने की तरफ धकेल रहे है। जब लोकतंत्र और समानता का पर्व कहे जाने वाला चुनाव हिमाचल में होने वाला है।

