बिना तेल बाती के जलती है जोत, हिमाचल का ऐसा मंदिर जहां खुद सम्राट अकबर भी हार गया 

ज्वाला देवी मंदिर के रहस्य के पीछे की कहानी यह है कि पवित्र देवी नीली लौ के रूप में खुद प्रकट हुईं थीं। 

यह देवी का चमत्कार ही है कि पानी के संपर्क में आने पर भी ये लौ नहीं बुझती।

यह ज्योतियां मंदिर गर्भगृह में स्थित है, यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। 

हिंदू भक्तों का मानना है कि ज्वाला देवी मंदिर की तीर्थयात्रा उनके सभी कष्टों का अंत कर देती है।

मान्यता है कि राजा अकबर ने मां ज्वालाजी के अनन्य भक्‍त ध्यानू की श्रद्धा व आस्था की परीक्षा उस समय ली।

माना जाता है कि अकबर ने इस प्रयास के बाद पवित्र ज्योतियों के स्थान पर लोहे के कड़े लगवा दिए, ताकि ज्योतियां बुझ सकें।

ज्योतियां बुझाने के लिए साथ लगते जंगल से पानी की नहर भी ज्योतियों पर डाली गई लेकिन माता के चमत्कार से पानी पर भी पवित्र ज्योतियां जल उठी थी।

राजा अकबर द्वारा तमाम कोशिशों के बाद भी ज्वालाजी की पवित्र ज्योतियां नहीं बुझी।

अद्भुत शक्ति के आगे नतमस्तक होकर अकबर ने दिल्ली से ज्वालाजी तक की पैदल यात्रा करके सवा मन सोने का छत्र माता के श्री चरणों में अर्पण किया। 

अद्भुत शक्ति के आगे नतमस्तक होकर अकबर ने दिल्ली से ज्वालाजी तक की पैदल यात्रा करके सवा मन सोने का छत्र माता के श्री चरणों में अर्पण किया। 

आज तक कई वैज्ञानियों की जांच के बाद भी धातु का पता नहीं चल सका है।