ओपीएस को लेकर पांच साल से कर्मचारियों के अंदर दबी आग का डर भाजपा को पसरा

ओपीएस को लेकर पांच साल से कर्मचारियों के अंदर दबी आग का डर भाजपा को पसरा

प्रजासत्ता ब्यूरो।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के बीच राजनीतिक पार्टियों की ओर से रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य को कई तरह के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन एक और बड़ा मुद्दा ओपीएस का है। प्रदेश विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा गर्माया हुआ है। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि राजनीतिक दलों की तैयारियों के लिए भी यह मुद्दा अहम साबित हो सकता है।

एक ओर जहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सत्ता में आने पर पुरानी योजना को दोबारा लागू करने की बात कर रहे हैं। वहीं, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी भी इसकी बहाली पर विचार करने की बात कह चुकी है।

उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारी लंबे समय से ओल्ड पेंशन की मांग कर रहे हैं। पिछले पांच सालों से ओपीएस को लेकर आंदोलन कार्यालय से निकल कर सड़कों तक पहुंचा। यही नहीं लंबे समय तक एनपीएस कर्मचारी शिमला में भूख हड़ताल पर बैठे और सरकार से ओल्ड पेंशन बहाली की मांग करते रहे। वहीं राज्य में सत्ता में बैठी भाजपा सरकार ने कर्मचारियों की मांग पद कोई खास ध्यान नहीं दिया जिसके चलते पिछले पांच साल में कर्मचारियों का गुस्सा विधानसभा घेराव में देखा गया। यहां भी आंदोलन दबाने के लिए सरकार ने अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन सरकारी कर्मचारियों अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए जंग में डटे रहे। लेकिन अब पांच साल कर्मचारियों के अंदर लगी वह आग चुनाव में वोट के रूप में देखने को मिलेगी एनपीएस कर्मचारियों ने वोट फॉर ओपीएस का अभियान छेड़ रखा है।

अगर यह अभियान कामयाब हो गया तो भाजपा की सत्ता में आने की राह पूरी तरह से कठिन हो जायेगी। बता दें कि भाजपा को भी कर्मचारियों के अंदर पांच साल से दबी आग का डर पसारा है। यही कारण है कि अब भाजपा यह दावे कर रही है कि ओल्ड पेंशन तो भाजपा ही लागू करेगी। लेकिन सत्ता में रहते हुए भाजपा ने इस मुद्दे पर कोई ध्यान नहीं दिया। यहां तक प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पेंशन को लेकर विधानसभा में एक बयान भी दिया था कि यदि कर्मचारियों को पेंशन लेनी है तो चुनाव चुनाव लड़े और पेंशन ले, जिसके बाद इस बयान का काफी विरोध हुआ था और अब यही बयान भाजपा सरकार के लिए मुसीबत बना हुआ है।

बता दें कि हिमाचल में करीब 4.5 लाख सरकारी कर्मचारी हैं और रिटायर्ड कर्मचारी भी बड़ी संख्या में हैं। 55 लाख मतदाताओं वाले राज्य में इन दोनों वर्गों का हिस्सा काफी बड़ा है।