Himachal Pollution: औद्योगिक क्षेत्र बद्दी का वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुँच गया है, जिससे इस क्षेत्र को ‘रेड ज़ोन’ में शामिल कर लिया गया है। यहाँ वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 300 के स्तर से ऊपर चला गया है, जिससे बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं वाले लोगों को साँस लेने में कठिनाई हो रही है।
कई दिनों तक बारिश न होने के कारण देश की राजधानी के साथ-साथ हिमाचल के बद्दी क्षेत्र में भी प्रदूषण की स्थिति गंभीर बनी हुई है। गुरुवार को बद्दी का एक्यूआई 343 दर्ज किया गया, जबकि पिछले दिनों यह स्तर 300 से नीचे था। यदि प्रदूषण का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा, तो निवासियों को और भी अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
इस स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने बच्चों, बुजुर्गों और श्वास रोगियों को आवश्यकता के बिना घर से बाहर न निकलने की सलाह दी है। प्रदेश के चार अन्य शहरों में भी वायु गुणवत्ता ‘मध्यम’ श्रेणी में दर्ज की गई है, जहाँ एक्यूआई 100 से अधिक है। इनमें पोंटा साहिब (147), कालाअंब (131), बरोटीवाला (123) और नालागढ़ (109) शामिल हैं। वहीं, चार शहरों की वायु गुणवत्ता संतोषजनक श्रेणी (एक्यूआई 50-100) में रही: सुंदरनगर (52), ऊना (86), दमताल (65) और परवाणू (57)।
हिमाचल प्रदेश में केवल तीन शहरों की वायु गुणवत्ता को ‘अच्छा’ माना गया है। इनमें शिमला (37), धर्मशाला (41) और मनाली (28) शामिल हैं, जहाँ का वातावरण स्वास्थ्य के लिए अनुकूल है।
बता दें कि बद्दी में बढ़ते प्रदूषण के कारण इन समस्याओं का प्रभाव धीरे-धीरे दिखाई देने लगा है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। बद्दी एक प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र है, जहां सैकड़ों फैक्ट्रियां चल रही हैं। इन उद्योगों से निकलने वाला धुंआ, भारी वाहनों की आवाजाही, निर्माण कार्य, खुले में जलने वाला कचरा और सड़कों पर उड़ती धूल वायु प्रदूषण को बढ़ा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, ठंडे मौसम में हवा की गति धीमी होने के कारण प्रदूषक कण वातावरण में लंबे समय तक बने रहते हैं, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो जाती है।











