Himachal News: हिमाचल प्रदेश में पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान एक सनसनीखेज घोटाला सामने आया है। जिस समय हिमाचल प्रदेश में सीएम जयराम ठाकुर के नेतृत्व में सरकार चल रही थी उस दौरान सोलन जिला के अर्की डिग्री कॉलेज में फर्जी दस्तावेजों के सहारे बास्केटबॉल कोर्ट और ओपन जिम के नाम पर 11,81,950 रुपये का गबन कर लिया गया। यह मामला तब उजागर हुआ जब कॉलेज में नए प्राचार्य की नियुक्ति हुई और उन्होंने रिकॉर्ड की समीक्षा की।
कैसे हुआ घोटाला?
दरअसल, कॉलेज को उत्कृष्ट महाविद्यालय का दर्जा मिलने के बाद सरकार द्वारा विकास कार्यों के लिए एक करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी। कागजों के अनुसार, 8,81,950 रुपये बास्केटबॉल कोर्ट और 3,00,000 रुपये ओपन जिम के निर्माण में खर्च किए गए। लेकिन वास्तविकता में न तो कॉलेज परिसर में बास्केटबॉल कोर्ट था और न ही ओपन जिम।
ठेकेदार को कैसे दिया गया भुगतान?
इसके बाबजूद, 19 मार्च 2022 को मंडी के ठेकेदार को 11,81,950 रुपये ट्रेजरी अर्की द्वारा जारी किए गए। यह राशि बिना किसी कार्य को पूरा किए ही मंजूर कर दी गई। 22 फरवरी 2022 को बास्केटबॉल कोर्ट के निर्माण के लिए टेंडर जारी किए गए थे, जिसमें पाँच कंपनियों ने भाग लिया, लेकिन चार कंपनियों को बिना किसी ठोस कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया। नतीजतन, अकेले एमएस नंदन कांट्रेक्टर एंड सप्लायर, मंडी को ठेका दे दिया गया।
तीन दिन में पूरा हो गया निर्माण कार्य?
कागजों में 9 मार्च 2022 को ठेका देने के बाद महज तीन दिनों में 12 मार्च 2022 को ठेकेदार को काम पूरा होने का प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया। इसके बाद 16 मार्च 2022 को इसी प्रमाण पत्र के आधार पर बिल उप-ट्रेजरी अर्की को प्रस्तुत किया गया, और 19 मार्च 2022 को यह पास भी हो गया। इसके बाद 11,81,950 रुपये ठेकेदार के खाते में ट्रांसफर कर दिए गए।
कमेटी के सदस्य कौन थे?
गौरतलब है कि इस काम को पूरा करने के बाद संबंधित धनराशि को देने का अनुमोदन 8 मार्च 2022 को विकास कार्य करवाने के लिए गठित कमेटी द्वारा किया गया। कॉलेज विकास समिति सदस्यों में डॉ. दिनेश सिंह कंवर, डॉ. रमेश, डॉ. प्रेम पाल, रवि राम, डॉ. मुनीष कुमार, डॉ. आदर्श शर्मा, राजेश्वर शर्मा शामिल थे। इस दौरान कॉलेज के कार्यकारी प्राचार्य डॉ. जगदीश चंद शर्मा थे और कॉलेज अधीक्षक ग्रेड टू चमन ने यह ट्रांजेक्शन की थी।
पुलिस मामले की जांच में जुटी
जब नए प्राचार्य को इस घोटाले की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत पुलिस को इसकी शिकायत दी। एसपी सोलन गौरव सिंह ने पुष्टि की कि मामला दर्ज कर लिया गया है और पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। उलेखनीय है कि यह मामला न केवल सरकारी फंड के दुरुपयोग को उजागर करता है, बल्कि शिक्षा संस्थानों में हो रही धांधलियों की ओर भी इशारा करता है। अब देखना यह है कि दोषियों को कब तक और कैसी सजा मिलती है, या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा?
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