Himachal News: हिमाचल प्रदेश के एम्स बिलासपुर (AIIMS Bilaspur) और सोलन जिला के धर्मपुर स्थित टीवी ट्रॉमा सेंटर (TV Trauma Center Dharampur) के बीच ड्रोन द्वारा चिकित्सा आपूर्ति और सैंपल ट्रांसपोर्टेशन का पहला सफल परीक्षण किया गया है। यह परीक्षण स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत है, जो आने वाले समय में स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण को अधिक तेज और प्रभावी बनाएगा।
इस परीक्षण में, एम्स बिलासपुर से ड्रोन के माध्यम (Drone Facility)से टीबी (तपेदिक) के टेस्ट सैंपल धर्मपुर ट्रॉमा सेंटर भेजे गए। इस सफल परीक्षण के बाद, 2025 से यह सेवा नियमित रूप से शुरू होगी। प्रारंभिक दौर में यह सेवा ट्रायल बेस पर काम करेगी, ताकि ड्रोन तकनीक की क्षमता और प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जा सके।
इस परियोजना ने पहले कुछ तकनीकी और प्रशासनिक अड़चनों के चलते विशेष रूप से एयर फोर्स और आर्मी एरिया होने की वजह से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) न मिलने के कारण योजना को स्थगित कर दिया गया था। जिसके कारण पहले सैम्पल को एम्स बिलासपुर से कंडा तक ड्रोन द्वारा और उसके बाद सड़क मार्ग से इसे ट्रामा सेन्टर तक पहुँचाया जाना था।
हालांकि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) मिल जाने से इसे धर्मपुर तक विस्तार देने का रास्ता साफ हो गया है। इस योजना का संचालन एक प्रमुख दक्षिण भारतीय कंपनी द्वारा किया जा रहा है, जो ड्रोन तकनीक में विशेषज्ञता रखती है और देशभर में ऐसी सेवाएं प्रदान कर रही है। बुधवार को इसका प्रशिक्षण सफल हो गया।
एक अधिकारी ने नाम न लिखने की एवज में जानकारी देते हुए बताया कि धर्मपुर स्थित टीवी ट्रॉमा सेंटर ड्रोन उतरने का परीक्षण सफल रहा। जिससे अब चिकित्सा आपूर्ति और सैंपल ट्रांसपोर्टेशन आसान हो जायेगा। पहले इन सैम्पल को पहुँचने में 3 से 5 दिन का समय लगता था लेकिन अब यह काम 2 से 3 घंटे में हो जायेगा।
उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि टीबी (तपेदिक) के टेस्ट सैंपल मिलने के बाद इसकी रिपोर्ट ऑनलाइन जारी होगी जिसे एम्स बिलासपुर में ही प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि हमारे पास टीवी के तीन प्रकार के टेस्ट होतें हैं जिसमे 10 दिन से,30 दिन और लगभग 41 दिन का समय लगता है।
ड्रोन के जरिए मेडिकल सैंपल्स और आवश्यक चिकित्सा उपकरणों का त्वरित परिवहन, उन मरीजों के लिए जीवन रक्षक साबित हो सकता है जिन्हें तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है। यह तकनीक न केवल समय की बचत करेगी, बल्कि आपातकालीन स्थितियों में और भी प्रभावी रूप से लागू की जा सकेगी।
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