प्रजासत्ता नेशनल डेस्क|
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत सात साल में पहली बार 90 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव 2014 के बाद सबसे अधिक है। हालांकि, इसका असर पेट्रोल-डीजल की घरेलू कीमतों पर कोई असर नहीं दिख रहा है। देश में आज लगभग 84 दिनों के बाद ईंधन तेल के दाम में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है| तेल की कीमतों में स्थिरता के लिहाज से यह अबतक की सबसे लंबी अवधि है।
माना जा रहा है कि पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों के कारण पेट्रोल और डीजल की कीमतें रिकॉर्ड 84 दिन से स्थिर हैं। गौर हो कि बीते दिनों हुए उपचुनाव में तेल की बढ़ी कीमतों और महंगाई की वजह से सत्ता में बैठी भाजपा को कई जगह मुंह की खानी पड़ी थी । वहीं अब पांच राज्यों में होने वाले चुनाव को देखते हुए सरकार तेल की कीमतों में कोई इजाफा नहीं कर रही है ऐसा जानकार लोगों का मानना है। क्योंकि चुनाव से पहले कच्चे तेल की कीमतें काफ़ी कम थी लेकिन तेल के दाम ने पहली बार रिकॉर्ड ऊँचाइयों को छुआ था|
बता दें कि यूक्रेन और रूस में तनाव के बीच गुरुवार को वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड का भाव बढ़कर 90.02 डॉलर प्रति बैरल हो गया। रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक है, और आशंका जताई जा रही है कि वह यूरोप के लिए ऊर्जा आपूर्ति को बाधित कर सकता है। विश्लेषकों का अनुमान है कि ओमीक्रोन के कमजोर असर के कारण कच्चे तेल में कीमतों में तेजी बनी रहेगी।
पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के अनुसार भारत द्वारा खरीदे जाने वाले कच्चे तेल की औसत कीमत 26 जनवरी को 88.23 डॉलर प्रति बैरल थी। पीपीएसी के अनुसार, यह आंकड़ा अक्टूबर, 2021 में 74.85 डॉलर प्रति बैरल, नवंबर में 74.47 डॉलर प्रति बैरल और दिसंबर में 75.34 डॉलर प्रति बैरल था।