हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार में गुटबाजी एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है। इस बार हिमाचल प्रदेश सरकार में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह और उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान आमने-सामने हो गए हैं। बता दें कि जहां कुल्लू में हुई भारी तबाही की वजह को लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने इलीगल माइनिंग बताया है। वहीं उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने विक्रमादित्य सिंह के इस बयान को बचकाना बताया है।
अब ऐसे में एक बार बार दोनों के बीच तनातनी शुरू हो गई। है। बता दें कि जब से सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है, तब से मंत्रियों की गुटबाजी इस तरह सामने आती ही रहती है। इससे पहले भी उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान और उद्योग विभाग के ही मुख्य संसदीय सचिव चौधरी राम कुमार की अंदरूनी लड़ाई भी खुलकर मीडिया के सामने आ चुकी है। इसके अलावा हमेशा ही पार्टी लाइन से हटकर बात करने वाले विक्रमादित्य सिंह को मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने आड़े हाथों ले लिया।
दरअसल गुरुवार 13 जुलाई को कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह कुल्लू के दौरे पर थे जहां उन्होंने बाढ़ ग्रस्त इलाकों का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि ये एक कड़वा सच है कि कुल्लू में बारिश के बाद ज्यादा नुकसान अवैध खनन की वजह से हुआ है और वो इस मुद्दे को विधानसभा से लेकर कैबिनेट और राज्यपाल के सामने उठाएंगे। उन्होंने कहा कि ये सिर्फ कुदरत की वजह से नहीं हुआ है, अगर अवैध खनन को लेकर अधिकारियों की ओर से एक्शन लिया गया होता तो ये हालात नहीं होते। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि बारिश से नुकसान होता, लेकिन ज्यादा नुकसान अवैध खनन की वजह से हुआ है। अवैध खनन की वजह से ब्यास नदी का रास्ता बदला जिससे भारी तबाही हुई है। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि इस मामले में सख्त से सख्त एक्शन होना चाहिए। इसके अलावा विक्रमादित्य सिंह ने सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर पोस्ट किया था। जिसमें उन्होंने कुल्लू में आई बाढ़ और उससे हुए नुकसान की वजह अवैध खनन को बताया। उन्होंने पोस्ट में लिखा है कि इस पर सख्त एक्शन होना चाहिए और वो इस विषय को लेकर मुख्यमंत्री से बात करेंगे।
वहीं हर्षवर्धन चौहान ने मीडिया से पूछे के पूछे सवाल पर कहा कि उन्होंने विक्रमादित्य सिंह का यह बयान नहीं सुना है। लेकिन, यह तबाही इलीगल माइनिंग की वजह से नहीं बल्कि प्राकृतिक आपदा की वजह से हुई. यह संभव है कि एक-दो जगह पर इलीगल माइनिंग हो रही हो। छुटपुट माइनिंग होते ही रहती है, लेकिन इसके लिए इलीगल माइनिंग जिम्मेदार नहीं है। उन्होंने कहा कि कुल्लू-मनाली में तो कोई माइनिंग का क्रेशर भी नहीं है। नदी से 100 मीटर दूरी तक कोई माइनिंग करने की अनुमति भी नहीं है। ऐसे में वे विक्रमादित्य सिंह के इस बयान से असहमत हैं। यही नहीं, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने विक्रमादित्य सिंह के इस बयान को बचकाना भी करार दिया। उद्योग मंत्री ने विक्रमादित्य सिंह से पूछा कि मंडी में जो तबाही हुई, क्या वह इलीगल माइनिंग की वजह से हुई? हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में हुई तबाही की वजह इलीगल माइनिंग नहीं, बल्कि प्राकृतिक आपदा है।











