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Kailash Mansarovar Yatra: राज्य सरकार शिपकी-ला के रास्ते कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने के लिए केंद्र से आग्रह करेगी.!

Kailash Mansarovar Yatra: राज्य सरकार शिपकी-ला के रास्ते कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने के लिए केंद्र से आग्रह करेगी.!

Kailash Mansarovar Yatra: हिमाचल प्रदेश किन्नौर जिला से शिपकी-ला के रास्ते कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने का मामला केंद्र सरकार के समक्ष रखेगा। यह बात मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज यहां मध्य कमान, लखनऊ के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।

हिन्दू, जैन, बौद्ध धर्म के लोगों के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा का धार्मिक महत्त्व है। हर वर्ष आध्यात्मिक विरासत का निर्वहन करते हुए हजारों तीर्थ यात्री कैलाश की यात्रा करते हैं। उन्होंने कहा कि तीर्थयात्री शिपकी-ला दर्रे के माध्यम से तिब्बत में प्रवेश कर सकते हैं, क्योंकि यह एक व्यवहार्य मार्ग है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार केंद्र सरकार से सिक्किम, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश की तर्ज पर हिमाचल स्काउट बटालियन की स्थापना करने का आग्रह करेगी, जिसमें राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों के स्थानीय लोगों के लिए विशेष कोटा होगा। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों की यह मांग लंबे समय से लंबित है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि एलएसी तक बॉर्डर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना और अन्य अर्धसैनिक बलों के साथ सहयोग और सहभागिता आवश्यक है। राज्य सरकार केंद्र सरकार से विभिन्न सैन्य और अर्धसैनिक बलों की इनर लाइन चेक पोस्टों को समाप्त करने का भी आग्रह करेगी, जिससे वर्तमान में पर्यटकों के लिए परमिट संबंधी बाधा उत्पन्न होती है। उन्होंने पर्यटकों की यात्रा को सरल बनाने और आगंतुकों के अनुभव को बेहतर बनाने पर बल दिया।

सीएम सुक्खू ने स्पीति घाटी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सेना से रंगरिक में एक हवाई पट्टी स्थापित करने के लिए कहा, ताकि यहां बड़े विमान उतरने में सक्षम हो सके। उन्होंने सांगला, नेसंग, ठंगी आदि में हेलीपोर्ट बनाने के लिए सर्वेक्षण करने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि इन कदमों से क्षेत्र में पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा और स्थानीय लोगों की आर्थिकी सुदृढ़ होगी।

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पर्यटन क्षेत्र के विस्तार को राज्य सरकार प्राथमिकता प्रदान कर रही है और सीमावर्ती क्षेत्रों में इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सेना के साथ समन्वय अति आवश्यक है। उन्होंने सेना से क्षेत्र में सैन्य स्कूल स्थापित करने की संभावनाएं तलाशने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सीमावर्ती क्षेत्र में दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करेगी और भारतीय सेना को उत्पादों की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़कों का रख-रखाव रक्षा मंत्रालय द्वारा किया जाना चाहिए क्योंकि सड़कें राज्य की जीवन रेखा का कार्य करती है। इनमें किआटो-तकलिंग ला-नूरबो सुमदो, वांगतू-काफनू-मुद-अटरगू, लियो-चांगो, गिउ-पांग, खानादुमती-निथल थाच, हरसिल, ज्योरी-वांगतू से शिपकी-ला तक की सड़कें शामिल हैं।

भारतीय सेना ने सरकार की इन पहलों में मजबूत सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया और सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए राज्य सरकार के साथ जलापूर्ति, बिजली और खेल क्षेत्रों में सामंजस्य स्थापित करने में गहरी रुचि दिखाई।

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लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने कहा कि भारतीय सेना काजा में सभी मौसम के अनुकूल आइस स्केटिंग रिंक और एक इनडोर स्टेडियम का निर्माण करेगी। इसके अतिरिक्त सेना द्वारा काजा में नेत्र स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन भी किया जाएगा जिसमें विभिन्न सुविधाएं रहेंगी।

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार मीडिया नरेश चौहान, अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के. पंत, प्रधान सचिव देवेश कुमार, निदेशक पर्यटन विवेक भाटिया, निदेशक सूचना एवं जन संपर्क राजीव कुमार, लेफ्टिनेंट जनरल डी.जी. मिश्रा, ब्रिगेडियर आर.एस. चंदेल, ब्रिगेडियर अनुराग पांडे और अन्य वरिष्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।

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