Himachal Panchayat Elections: हिमाचल प्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले पंचायत चुनाव अपने निर्धारित समय पर होंगे और इन्हें स्थगित नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान यह स्पष्ट किया है।
दरअसल, नालागढ़ से कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह बाबा ने सवाल उठाया था कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण सड़कों, स्कूलों और कई पोलिंग बूथों को हुए नुकसान को देखते हुए क्या सरकार पंचायत चुनाव टालने पर विचार कर रही है। इसके जवाब में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने साफ किया कि चुनाव समय पर होंगे और तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।
नई पंचायतों के गठन से इनकार
इस दौरान मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि नई पंचायतों का गठन नहीं किया जाएगा। विधानसभा में इस संबंध में साढ़े सात सौ से अधिक आवेदन प्राप्त हुए थे, लेकिन सरकार ने फिलहाल नई पंचायतें बनाने का प्रस्ताव खारिज कर दिया है। सीएम ने कहा कि मौजूदा पंचायतों के ढांचे के साथ ही चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।
शहरी निकायों के चुनाव दो साल के लिए टल सकते हैं
हालांकि, पंचायत चुनावों के उलट, शहरी निकायों (नगर निगम और नगरपालिका) के चुनावों को दो साल के लिए स्थगित करने का रास्ता साफ हो गया है। मानसून सत्र के 10वें दिन हिमाचल विधानसभा में नगर निगम और नगरपालिका (संशोधन) विधेयक ध्वनिमत से पारित हो चुका है। इस विधेयक के तहत नवगठित नगर निगमों और स्थानीय निकायों के चुनाव दो साल तक टाले जा सकते हैं। विपक्ष ने इस विधेयक का विरोध किया था, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इसे मतदान के लिए रखा और इसे मंजूरी मिल गई।
शहरीकरण और ओबीसी सर्वेक्षण पर जोर
पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने विधेयक का बचाव करते हुए कहा कि राज्य में शहरी आबादी तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 2012 की तुलना में 2024 में शहरी जनसंख्या 60 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 9.16 लाख हो गई है। उन्होंने कहा, “बेतरतीब निर्माण को नियंत्रित करने के लिए यह कदम जरूरी है।
ओबीसी जनसंख्या का सर्वेक्षण केवल ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 2010 में हुआ था। अब नया सर्वेक्षण चल रहा है ताकि ओबीसी समुदाय के साथ कोई अन्याय न हो।” उन्होंने यह भी बताया कि हरियाणा, असम और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी इसी तरह के संशोधन कर शहरी निकायों के चुनाव स्थगित किए गए हैं।
विपक्ष की चिंताओं को बताया निराधार
पंचायती राज मंत्री ने विपक्ष की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि संशोधन में कोई संवैधानिक उल्लंघन नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कदम शहरीकरण की चुनौतियों से निपटने और व्यवस्थित विकास के लिए उठाया गया है। हिमाचल में वर्तमान में 3,615 ग्राम पंचायतें हैं, और इनके कई क्षेत्रों में तेजी से शहरीकरण हो रहा है।
चुनाव तैयारियों पर जोर
मुख्यमंत्री ने सभी को आश्वासन दिया कि पंचायत चुनाव तय समय पर कराने के लिए प्रशासन पूरी तरह तैयार है। आपदा से प्रभावित क्षेत्रों में पोलिंग बूथों की मरम्मत और बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए विशेष कदम उठाए जा रहे हैं। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मतदाताओं को किसी भी तरह की असुविधा न हो।










