Kullu SC Women Murder Case: हिमाचल प्रदेश राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने मंगलवार को सैंज क्षेत्र में घटित अनुसूचित जाति की महिला से जुड़े मर्डर एवं दुराचार मामले की सुनवाई बहुउद्देश्यीय भवन, सैंज में की।
सुनवाई की अध्यक्षता आयोग के अध्यक्ष कुलदीप कुमार धीमान ने की। इस अवसर पर आयोग के सदस्य (अधिवक्ता) दिग्विजय मल्होत्रा तथा सदस्य सचिव विनय मोदी भी उपस्थित रहे।
आयोग ने मामले से संबंधित सभी पहलुओं की गहन समीक्षा करते हुए पीड़ित परिवार के सदस्यों से विस्तारपूर्वक बातचीत की। सुनवाई के दौरान आयोग के अध्यक्ष कुलदीप कुमार धीमान ने कहा कि अनुसूचित जाति आयोग का गठन अनुसूचित जाति समुदाय के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया है और आयोग पूरी प्रतिबद्धता के साथ इनके अधिकारों की सुरक्षा हेतु कार्य कर रहा है।
उन्होंने बताया कि आयोग द्वारा की गई अलग-अलग स्तर की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि इस मामले में पुलिस जांच के दौरान लापरवाही बरती गई तथा तथ्यों को दबाने (लीपापोती) के संकेत भी मिले हैं। अध्यक्ष ने कहा कि प्रारंभिक पुलिस जांच संदेह के घेरे में है।
इस मामले में संबंधित थाने के तत्कालीन एसएचओ को निलंबित कर दिया गया है तथा आयोग द्वारा तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (एसपी) और उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) की विभागीय जांच की सिफारिश भी की जाएगी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू एवं प्रदेश सरकार इस प्रकार की घटनाओं को लेकर गंभीर और चिंतित हैं तथा समाज में अनुसूचित जातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के प्रति व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
कुलदीप धीमान ने कहा कि इस मामले में जो भी व्यक्ति दोषी पाया जाएगा, चाहे वह किसी भी पद पर क्यों न हो, उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस द्वारा न केवल केस तैयार करने में बल्कि साक्ष्य एकत्र करने और जांच प्रक्रिया में भी गंभीर लापरवाही बरती गई।
अध्यक्ष ने इस घटना को अत्यंत दुखद और शर्मनाक बताते हुए कहा कि सैंज क्षेत्र में अनुसूचित जाति की महिला के साथ घटित यह घटना मानवता को झकझोर देने वाली है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और आयोग के समक्ष यह आरोप लगाए जा रहे थे कि मामले की जांच निष्पक्ष एवं सही तरीके से नहीं की गई। इन्हीं शिकायतों को ध्यान में रखते हुए आयोग स्वयं मौके पर पहुंचा और सैंज क्षेत्र में घटना स्थल का दौरा और निरीक्षण किया।
उन्होंने बताया कि आयोग ने स्थानीय लोगों, पीड़ित परिवार, पंचायत प्रतिनिधियों तथा मामले की जांच कर रहे तत्कालीन पुलिस अधिकारियों से विस्तृत पूछताछ की है। जांच में यह पाया गया कि जिस प्रकार से जांच होनी चाहिए थी, उस प्रकार से नहीं की गई और कई स्तरों पर कोताही बरती गई। सही धाराएं समय पर नहीं लगाई गईं, जिसके कारण पोस्टमार्टम प्रक्रिया भी अपेक्षित मानकों के अनुरूप नहीं हो सकी। अध्यक्ष ने कहा कि गांव और स्थानीय लोगों के दबाव के चलते बाद में गठित एसआईटी द्वारा जांच को सही दिशा में ले जाया गया, जिसके परिणामस्वरूप चार आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।
इस अवसर पर आयोग ने पीड़ित महिला के पति, बच्चों, ग्राम पंचायत प्रधान, पंचायत सदस्यों, महिला मंडल के सदस्यों, पुलिस अधिकारियों, एसआईटी टीम तथा पुलिस अधीक्षक से अलग-अलग पूछताछ कर मामले की संपूर्ण जानकारी प्राप्त की। आयोग के अध्यक्ष ने संबंधित विभाग को निर्देश दिए कि सभी आवश्यक औपचारिकताएँ शीघ्र पूर्ण कर पीड़ित परिवार को निर्धारित सहायता राशि तत्काल जारी की जाए। सुनवाई के दौरान उपायुक्त कुल्लू तोरुल एस. रवीश, पुलिस अधीक्षक मदन लाल, पीड़िता के परिजन, ग्राम पंचायत के सदस्य तथा स्थानीय महिला मंडल के सदस्य भी उपस्थित रहे।











