Gold Price Crash: देश ही नहीं बल्कि अंतर राष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें इस समय रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं। चीन और अमेरिका में की ट्रैड वार के चलते पिछले कुछ समय में गोल्ड की कीमत में जबरदस्त तेजी आई। इससे निवेशकों को काफी फायदा मिला। वहीं, शादी-ब्याह या निजी उपभोग के लिए सोने के जेवरात खरीदने वालों को परेशानी उठानी पड़ रही है। हालांकि, उपभोक्ताओं को आने वाले कुछ साल में बड़ी राहत मिल सकती है। इसमें 38% तक की गिरावट मुमकिन है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी फाइनेंशियल सर्विसेज फर्म मोर्निंग स्टार में एनालिस्ट जॉन मिल्स का कहना है कि सोने की कीमत $2329 प्रति औंस तक गिर सकती है। यह मौजूदा स्तर के मुकाबले करीब 38% कम होगा। यह गिरावट पिछले 12 महीनों में हुई सारी बढ़त को खत्म कर सकती है।
अभी सोने की कीमतें क्यों बढ़ रही हैं?
फिलहाल $3,327 प्रति औंस पर पहुंच चुका सोना कई वजहों से महंगा हुआ है। इसमें भू-राजनीतिक तनाव, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता और महंगाई बढ़ने की आशंका शामिल है। इसके कारण निवेशक सुरक्षित निवेश की तलाश में सोने का रुख कर रहे हैं। खासकर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ट्रेड वॉर ने वैश्विक स्तर पर अस्थिरता बढ़ाई है। इससे गोल्ड की कीमतों को हवा मिली है।
गोल्ड में भारी गिरावट क्यों आ सकती है? (Gold Price Crash)
जॉन मिल्स सोने के दाम में भारी गिरावट आने के कई ठोस कारण गिनाते हैं। आइए एक-एक उन कारण को समझते हैं:
गोल्ड की डिमांड घटने के संकेत
दूसरी वजह यह है कि सोने की डिमांड घटने के संकेत मिल रहे हैं। कई सेंट्रल बैंक और निवेशक पिछली कुछ तिमाहियों से खूब सोना खरीद रहे हैं। लेकिन, उनकी दिलचस्पी लंबे समय तक बनी रहेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं।
2024 में सेंट्रल बैंकों ने 1,045 टन सोना खरीदा। यह लगातार तीसरा साल है, जब खरीद 1,000 टन से ऊपर रही। लेकिन वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के सर्वे में 71% सेंट्रल बैंकों ने कहा कि वे अगले साल अपनी गोल्ड होल्डिंग्स घटा सकते हैं या जस की तस रखेंगे। इसी तरह, 2020 में जब कोरोना महामारी आई थी, तब सोने की कीमतें तेजी से बढ़ी थीं, लेकिन हालात सुधरते ही कीमतें गिरने लगी थीं।
तेजी से बढ़ रही सोने की सप्लाई
पहली वजह यह है कि गोल्ड की सप्लाई तेजी से बढ़ रही है। जब सोना महंगा होता है, तो ज्यादा लोग इसे खनन (माइनिंग) करने लगते हैं। 2024 की दूसरी तिमाही में सोना निकालने वालों का औसत मुनाफा $950 प्रति औंस था, जो 2012 के बाद सबसे ज्यादा है। 2024 में दुनिया में सोने का कुल भंडार 9% बढ़कर 216,265 टन हो गया है।
कई देश, खासकर ऑस्ट्रेलिया, बड़े पैमाने पर सोने का उत्पादन बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा, पुराना सोना भी बड़े पैमाने पर री-साइकल किया जा रहा है। इससे बाजार में उपलब्ध सोने की मात्रा और बढ़ रही है। सप्लाई ज्यादा होने से कीमतों पर दबाव बढ़ेगा और यह सस्ता होगा।
पीक पर है गोल्ड प्राइस?
इतिहास गवाह है कि जब किसी उद्योग में सौदों (M&A) की संख्या तेजी से बढ़ती है, तो यह कीमतों के शिखर पर होने का संकेत हो सकता है। 2024 में सोने के उद्योग में डीलमेकिंग 32% बढ़ी, जिससे जाहिर होता है कि सोने का बाजार अपने उच्चतम स्तर पर हो सकता है।
इसके अलावा, हाल के महीनों में सोने से जुड़े नए निवेश फंड (ETF) भी बढ़े हैं, जो अतीत में कीमत गिरने से पहले देखे गए हैं। ये सभी फैक्टर संकेत देते हैं कि गोल्ड का रेट पीक पर है और इसमें बड़ी गिरावट आ सकती है।
क्या सच में गोल्ड 38% तक सस्ता होगा?
बेशक जॉन मिल्स सोने की कीमतों में 38% की गिरावट आने की आशंका जता रहे हों। लेकिन, कई बड़े विश्लेषकों की राय इसके ठीक उलट है। Wall Street के कई बड़े एनालिस्ट अभी भी सोने की कीमत और बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं।
Bank of America का अनुमान है कि अगले दो साल में यह $3,500 प्रति औंस तक पहुंच सकता है। वहीं, Goldman Sachs का मानना है कि 2025 के अंत तक यह $3,300 प्रति औंस हो सकता है। लेकिन जॉन मिल्स का मानना है कि मौजूदा तेजी के बावजूद सोने की कीमतें लंबी अवधि में गिर सकती हैं। और इसके समर्थन में उनके पास अपनी दलीलें हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि आखिर में किसकी बात कितनी सच होती है।
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