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मंत्री विक्रमादित्य ने पूर्व सीएम जयराम पर फिर बोला हमला, हल्की बातें करने से परहेज करने की दी सलाह

हिमाचल में मिशन लोटस पर मंत्री विक्रमादित्य बोले अपना स्टैंड किया स्पष्ट,विपक्षी नेताओं को दी नसीहत

शिमला|
लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर पर जुबानी हमला बोलते हए हल्की बातें करने से परहेज करने की सलाह दी है। वीरवार को सचिवालय स्थित अपने कार्यालय में पत्रकार वार्ता के दौरान विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि गाड़ी में केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी की मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू व लोक निर्माण मंत्री के साथ क्या कान्फिडेंशियल बातें हो रही हैं, उन्हें बाहर निकालना क्या नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर को क्या शोभा देता है।

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि आपदा के समय में विपक्ष को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब वहां पर मुख्यमंत्री व लोक निर्माण मंत्री मौजूद थे, तो फिर अधिकारियों की क्या आवश्यकता थी। हालांकि उनके साथ चीफ इंजीनियर मंडी, एनएचएआई के चीफ इंजीनियर व अन्य अधिकारी मौजूद थे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर जयराम ठाकुर को नितिन गडकरी को हिमाचल प्रदेश के दौरे पर लाने का श्रेय लेना है तो बिल्कुल लें, लेकिन प्रदेश पर आई इस आपदा के बीच राजनीति न करें।

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इस दौरान विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सीआरएफ के तहत हिमाचल प्रदेश को 400 करोड़ की मदद करने की घोषणा की है। भारत सेतु योजना के तहत क्षतिग्रस्त पुलों को बनाने की भी योजना को मंजूरी दी है। लोक निर्माण विभाग जल्द से जल्द नुकसान की रिपोर्ट तैयार कर केंद्र को भेजेगा, ताकि जल्द कार्य पूरा किया जा सके।

बता दें कि भारी बारिश से कुल्लू मनाली में हुई तबाही का जायजा लेने आए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री के दौरे के दौरान अधिकारियों की अनुपस्थिति पर पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सरकार पर कई सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि सरकार और अधिकारियों में तालमेल नहीं है सरकार की अधिकारियों पर पकड़ नहीं है । जय राम ठाकुर ने कहा कि केंद्रीय मंत्री के आपदा के समय इस विशेष दौरे के दौरान पीडब्ल्यूडी के सचिव और अन्य अधिकारी मौके पर नहीं था। पीडब्ल्यूडी ईएनसी तक मौजूद नहीं थे जबकि उन्हें प्रोटोकॉल के अनुसार मौके पर होना चाहिए था । मुख्यमंत्री हर दो मिनट में फोन करके अधिकारियों से जानकारी मांग रहे थे। वहां मंत्री व मुख्यमंत्री भले ही मौजूद नहीं रहते लेकिन अधिकारियों का होना जरूरी था।

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