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मिट्टी के लिए कुछ कर गुजरने के जनून की वजह से किसान नेकराम शर्मा को मिला पद्मश्री सम्मान

मिट्टी के लिए कुछ कर गुजरने के जनून की वजह से किसान नेकराम शर्मा को मिला पद्मश्री सम्मान

प्रजासत्ता ब्यूरो|
हिमाचल प्रदेश के किसान नेक राम शर्मा को पद्मश्री से नवाजा गया है। बुधवार को राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में आयोजित दूसरे गरिमामई अलंकरण समारोह में उन्होंने यह सम्मान प्राप्त किया। देश की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और गृहमंत्री अमित शाह समेत अन्य गणमान्य शख्सियतों की मौजूदगी में नेकराम शर्मा को पद्मश्री से सम्मानित किया। देश के प्रतिष्ठित सम्मान पदमश्री से नेकराम शर्मा को नवाजा जाना हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ मंडी जिला और उनकी जन्मभूमि नांज के लिए भी गौरव की बात है।

बता दें कि नेकराम शर्मा जैविक खेती से जुड़े हैं। ‘नौ-अनाज’ की पारंपरिक फसल प्रणाली को पुनर्जीवित कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि नेकराम शर्मा ने प्राकृतिक, ऑर्गेनिक और पारंपरिक फसलों को बढ़ावा देते हुए देश व प्रदेश के लुफ्त होते मोटे अनाज जैसे कागणी, कोदरा, सोक इतिआदि के संरक्षण के लिए जो योगदान नेकराम शर्मा ने दिया है। आज उसी का ही परिणाम है कि इन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।

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पहाड़ के साधारण किसान परिवार में जन्में नेकराम शर्मा ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि अपनी मिट्टी से जुड़ाव और कुछ अलग हटकर कर गुजरने के जुनुन की वजह से आज देश के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार किया जायेगा। हालांकि यह नेकराम शर्मा की मेहनत और जुनून का ही प्रतिफल है कि आज बीस हजार से भी अधिक किसान प्राकृतिक खेती से जुड़ चुके हैं।

नेकराम शर्मा ने डा. यशवंत सिंह परमार उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के प्रोफेसर डा. जेपी उपाध्याय के आलावा बंगलुरू स्थित कृषि विज्ञान विवि धारवाड़ से प्राकृतिक खेती की जानकारी हासिल की। इसके बाद वह पहाड़ की परंपरागत खेती और यहां उगाए जाने वाले पारंपरिक नौ मोटे अनाजों जैसे कांगणी, कोदरा, सोंकसों ज्वार के अलावा मोटा अनाज देसी मक्की, जौ, दालों में कोलथी की परंपरिक फसल प्रणाली को पुनर्जीवित करने की दिशा में जुट गए। यह सब इतना आसान नहीं था।

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नेेक राम शर्मा ने लगभग 40 तरह के विलुप्त हो रहे पुराने पारंपरिक अनाजों का संग्रह कर एक बैंक बनाया है। इन अनाजों को वे प्रदेेश व देश के छ: राज्यों के दस हजार के किसानों को मुफ्त बांट चुके हैं तथा उत्पादन होने के बाद मुठी-मुठी भर अनाज किसानों से प्राप्त कर अपने अनाज के बैंक को मजबूती भी प्रदान कर रहे हैं। कचालू, मास, कुलथ, फूलगोभी, टमाटर, अदरक, परमल, चाइना चावल, परमल चावल व लाल चावल की फसल के लिए मशहूर नांज गांव में पर्यावरण ग्राम विकास संगठन के नेकराम लोक विज्ञान केंद्र से जुडक़र जैविक खेती करने लगेे हैं।

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नेकराम शर्मा ने नेक इरादों के साथ ऑर्गेनिक और प्राकृतिक खेती को नई दिशा देने का काम किया। आज प्राकृतिक रूप से गेहूं, मक्की, बाजरा, जौ और अन्य सब्जियों की पैदावार कर रहे हैं। नेकराम शर्मा की प्राकृतिक सब्जियों की डिमांड हिमाचल प्रदेश से लेकर राजधानी दिल्ली तक है। तीस साल की कड़ी मेहनत के बाद नेकराम शर्मा को पद्मश्री मिलने से पूरे प्रदेश में खुशी की लहर है। प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में नेकराम शर्मा को सम्मान मिलने से प्राकृतिक खेती को भी और अधिक बढ़ावा मिलेगा।

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