Baddi AQI: हिमाचल प्रदेश की औद्योगिक नगरी बद्दी, जो दीवाली से पहले साफ हवा के लिए जानी जाती थी, इस बार त्योहार की रात जहरीली हो गई। दरअसल, एक नेशनल न्यूज़ पेपर की खबर के मुताबिक सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 की रात करीब 10 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 456 तक पहुंच गया, जो गंभीर स्तर को दर्शाता है। यह आंकड़ा उस वक्त दिल्ली के एक्यूआई से भी ऊंचा था। यह स्तर सेहत के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है। हालांकि, मंगलवार शाम 4 बजे तक यह घटकर 180 पर आ गया, जो मध्यम श्रेणी में आता है।
उल्लेखनीय है कि इस बार दिल्ली का औसत एक्यूआई 345 तक पहुंचा, जबकि बद्दी का वर्तमान स्तर 180 है। बद्दी राज्य का सबसे ज्यादा आबादी वाला और प्रदूषित इलाकों में गिना जाता है, जहां बड़ी संख्या में फैक्ट्रियां चलती हैं। इनसे निकलने वाला धुआं और कचरा हवा को लगातार खराब करता है। दीवाली की रात स्थिति और भयावह हो गई। फोरलेन निर्माण, भारी वाहनों का दबाव और बढ़ता ट्रैफिक पहले से प्रदूषण को हवा दे रहा था। ऊपर से पटाखों ने हालात बिगाड़ दिए।
गौरतलब है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, पिछले साल दीवाली पर बद्दी का एक्यूआई 196 था, जबकि इस बार 180 रहा। यानी औसतन प्रदूषण थोड़ा कम हुआ, लेकिन रात के वक्त हवा में जहर घुल गया। 20 अक्टूबर को बद्दी का एक्यूआई 280 था, जो दिल्ली के 345 से बेहतर था। अगले दिन सुबह 338 और फिर शाम को 180 पर आ गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि रात को तापमान गिरने और हवा की रफ्तार धीमी होने से प्रदूषक तत्व हवा में जमा हो गए, जिससे एक्यूआई 456 तक पहुंच गया। कुछ न्यूज़ पेपर में छपी खबरों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार दीपावली के पहले से ही वायु गुणवत्ता की निगरानी की जारी है और पटाखों के सीमित उपयोग, वाहनों की जांच तथा औद्योगिक इकाइयों की निगरानी के लिए विशेष निर्देश जारी किए गए थे। हालांकि सवाल यही है कि इन निर्देशों का किस स्तर तक पालन हुआ।
बीबीएन का प्रदूषण गंभीर खतरे की ओर!
हिमाचल प्रदेश की औद्योगिक नगरी, बीबीएन आज अपने बढ़ते प्रदूषण के कारण चिंता का सबब बन गई है। वर्षों से सैकड़ों उद्योगों से निकलने वाला गंदा पानी, जहरीली गैसें और धूल-मिट्टी ने इस क्षेत्र की हवा और पर्यावरण को बुरी तरह प्रभावित किया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी इसे प्रदेश का सबसे प्रदूषित इलाका मानता है, और आने वाला वक्त और भयावह हो सकता है। ऐसा दिन दूर नहीं जब यहां सांस लेना मुश्किल हो जाए।
आसपास की नदियों-नालों में मिल रहा औद्योगिक कचरा पानी के स्रोतों को भी दूषित कर रहा है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।हिमाचल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी भले ही अपने कार्यालयों में बैठकर दिशा-निर्देश जारी करें, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान करती है। यह प्रदूषण न सिर्फ इंसानों, बल्कि जानवरों के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है। आने वाली पीढ़ियों पर इसका बुरा असर पड़ना तय है। बद्दी सिर्फ उद्योगों का केंद्र नहीं, बल्कि वहां रहने वाले हजारों लोगों का घर भी है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार और प्रशासन इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देगा?










