Himachal News: मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश सरकार ने लोगों को पारदर्शी, सुविधाजनक और त्वरित सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए पिछले अढ़ाई वर्षों में राजस्व मामलों में बड़े पैमाने पर सुधार किए हैं।
प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि प्रदेश के लोगों की राजस्व मामलों से जुड़ी समस्याओं का निपटारा घर-द्वार के निकट करने के लिए राज्य में उप-तहसील और तहसील स्तर पर लोक राजस्व अदालतों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2023 से जून 2025 तक विभाग ने 3,33,892 इंतकाल, 20,369 तकसीम, 36,164 निशानदेही और राजस्व रिकार्ड्स में 9,435 मामलों में दरुस्ती की है। इस पहल से भूमि मालिकों को काफी राहत मिली है।
मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार राजस्व विभाग आधुनिक तकनीकों का भी व्यापक स्तर पर उपयोग कर रहा है। अब तक 90 प्रतिशत गांवों के नक्शे ‘भू-नक्शा पोर्टल’ पर अपलोड किए जा चुके हैं। कुल 1.44 करोड़ खसरा नंबरों में से 1.19 करोड़ के लिए यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर (भू-आधार) बनाए जा चुके हैं। साथ ही, 71 प्रतिशत खातों को आधार नंबर के साथ जोड़ा गया है और 30 प्रतिशत भूमि मालिकों की आधार सीडिंग भी पूरी हो चुकी है। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने राजस्व कोर्ट मामलों की फाइलिंग और प्रबंधन के साथ-साथ इंतकाल प्रक्रिया के पूर्ण डिजिटलीकरण के निर्देश भी दिए हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि लंबित राजस्व मामलों के त्वरित निपटारे के लिए हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम, 1954 में संशोधन किया गया है, जिससे सक्षम राजस्व अधिकारी ई-समन जारी कर सकेंगे। इससे समन ई-मेल या व्हाट्सएप के माध्यम से जारी किये जा सकेंगे। इस प्रक्रिया से समय की बचत होगी और मामलों के निपटान में देरी नहीं होगी।
राजस्व विभाग ने पेपरलेस रजिस्ट्री प्रणाली (माय डीड) भी शुरू की है, जिसके तहत लोग किसी भी समय और कहीं से भी रजिस्ट्री तहसीलदार को आवेदन कर सकते है। इस सुविधा से आवदेक को केवल एक बार कार्यालय आने की आवश्यकता होगी। आवेदक को कार्यालय आने के लिए निर्धारित समय दिया जाएगा और उनका कार्य एक ही बार में पूरा कर दिया जाएगा।
जमाबंदी का हिंदी फार्मेट भी सरल बनाया गया है, जिसमें पारंपरिक उर्दू और फारसी शब्दों को हटा दिया गया है ताकि आम जनता को इसे समझने में आसानी हो। ई-रोजनामचा की शुरुआत भी ई-गवर्नेंस में एक महत्त्वपूर्ण कदम है, जिससे पटवारी रोजमर्रा की गतिविधियों का रिकार्ड रखने के साथ-साथ रिपोर्ट भरने में सक्षम होंगे। इससे तहसीलदार पटवारियों की कार्यप्रणाली की बेहतर निगरानी भी कर सकेंगे। ऑनलाइन इंतकाल रजिस्टर को भी इस सिस्टम से जोड़ा जाएगा।
राजस्व विभाग डिजिटल माध्यम से हस्ताक्षरित किए गए जमाबंदी मॉडयूल पर भी काम कर रहा है, जिससे ‘फरद’ प्राप्त करने के लिए पटवारखाने में बार-बार जाने से छुटकारा मिलेगा। इसके अलावा ऑनलाइन इंतकाल मॉडयूल तैयार करने की भी योजना है जिससे
इंतकाल की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया तेज होगी और इसे सीधे जमाबंदी से जोड़ा जा सकेगा।
प्रवक्ता ने कहा कि सरकार की यह डिजिटल पहल लोगों के बार-बार सरकारी कार्यालय आने की जरूरत को कम करेगी। यह कदम जनता की समस्याओं के त्वरित निवारण और ज़रूरतमंदों को राहत देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
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