Manimahesh Yatra: हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में पवित्र मणिमहेश यात्रा के दौरान 14 से 31 अगस्त 2025 तक 20 श्रद्धालुओं की मौत का दुखद समाचार सामने आया है। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार, इन मौतों का कारण सांस फूलना, ऑक्सीजन की कमी, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं रहीं। इस तीर्थयात्रा की कठिन चढ़ाई और ऊंचाई के कारण कई श्रद्धालुओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, 3 अगस्त को अजय कुमार पुत्र पुरुषोत्तम निवासी कांगड़ा की मौत हुई। 14 अगस्त को भरमौर में जम्मू-कश्मीर के देवेंद्र सिंह पुत्र गोपी राम की मृत्यु हुई। 15 अगस्त को सलूणी के अक्षय कुमार पुत्र संजय कुमार, पंजाब के बेधलपुरा के गगन पुत्र तिलक राज, और पंजाब के ही मनप्रीत पुत्र बलविंद्र की जान गई। 17 अगस्त को पंजाब के सरवण सिंह पुत्र स्वर्ण सिंह और कांगड़ा के शेखर पुत्र देवराज की मृत्यु दर्ज की गई। इसके अलावा, यात्रा के दौरान अन्य श्रद्धालुओं की भी विभिन्न पड़ावों पर ऑक्सीजन की कमी और सांस की तकलीफ के कारण मृत्यु हुई।
जिसमे 25 अगस्त को अमन निवासी सुजानपुर, रोहित पठानकोट, अनमोल गुरदासपुरा और दर्शना देवी की मौत हुई। 26 अगस्त को यात्रा पर निकलीं सलोचना देवी और कविता देवी की मौत हुई। 28 अगस्त को कुगति ट्रैक पर सागर भटनागर की मौत हुई। इसके अलावा भरमौर में हरविंद्र, तरसेम और एसडीआरएफ की सूचना पर कुगति के हनुमान शिला के समीप चार शव बरामद किए, इनकी शिनाख्त नहीं हो पाई हैं।
उल्लेखनीय है कि मणिमहेश यात्रा, जो 13,390 फीट की ऊंचाई पर स्थित पवित्र डल झील तक जाती है, अपनी खड़ी चढ़ाई और प्राकृतिक चुनौतियों के लिए जानी जाती है। इस साल भारी बारिश और भूस्खलन ने यात्रा को और जोखिम भरा बना दिया। 25 अगस्त को भारी बारिश के कारण हजारों श्रद्धालु भरमौर, हड़सर, और गौरीकुंड जैसे पड़ावों पर फंस गए थे। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ ने सैंकड़ों श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकाला, लेकिन ऑक्सीजन की कमी और कठिन रास्तों ने और आपदा ने कई लोगों की जान ले ली।
प्रशासन ने भारी बारिश और भूस्खलन के चलते यात्रा को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया था। हेलीकॉप्टर और राहत टीमें तैनात की गईं, जिन्होंने फंसे श्रद्धालुओं को निकालने में मदद की। चंबा के उपायुक्त मुकेश रेप्सवाल ने बताया कि सड़कों और नेटवर्क की बहाली के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
बता दें कि मणिमहेश यात्रा, जो भगवान शिव के भक्तों के लिए आस्था का प्रतीक है, लेकिन इस बार यह यात्रा आपदा की भेंट चढ़ गई। राधाष्टमी पर परंपरागत शाही स्नान डल झील के बजाय चंबा के चौगान में ही करना पड़ा।
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