सेबी (भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड) ने शुक्रवार, 20 सितंबर को एक आरटीआई के जवाब में कहा है कि माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch ) के उन मामलों की जानकारी तुरंत उपलब्ध नहीं है, जिनमें उन्होंने संभावित हितों के टकराव के कारण खुद को अलग किया था।
सेबी (SEBI) का कहना है कि इन जानकारियों को एकत्र करना उनके संसाधनों का “अनुपातहीन रूप से विचलन” होगा।
सेबी (SEBI) ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन मामलों में बुच ने खुद को अलग किया, उनकी जानकारी आसानी से उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा, सेबी ने बुच की वित्तीय परिसंपत्तियों और घोषणाओं की प्रतियां प्रदान करने से भी इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि यह “व्यक्तिगत जानकारी” है और इससे उनकी सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
सेबी के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) ने “व्यक्तिगत जानकारी” और “सुरक्षा” का हवाला देते हुए इन जानकारियों का खुलासा नहीं करने का निर्णय लिया। आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(जी) और 8(1)(जे) के तहत सेबी ऐसी जानकारियों को रोक सकता है, जो किसी व्यक्ति की सुरक्षा को खतरे में डाल सकती हैं या जिनका सार्वजनिक हित से कोई संबंध नहीं है।
अगस्त में, सेबी ने आरोप लगाया था कि माधबी पुरी बुच ने संभावित हितों के टकराव के मामलों में खुद को अलग कर लिया है। शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Short Seller Hindenburg Research) ने दावा किया है कि बुच की कार्यशैली अदानी समूह से जुड़े फंड में उनकी हिस्सेदारी के कारण प्रभावित हो रही है।वहीँ भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी नोट किया है कि अदानी समूह के खिलाफ 26 में से 24 जांच जनवरी में पूरी हो चुकी हैं।