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चेयरपर्सन ने अडानी मामले पर बोलने से किया इंकार

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SEBI Board Meeting: बाजार नियामक सेबी (Securities and Exchange Board of India) की बोर्ड मीटिंग में बुधवार को कई अहम फैसले लिए गए हैं। इस दौरान सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने अडानी-हिंडनबर्ग प्रकरण पर बोलने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि नियामक अदालत में विचाराधीन मामलों पर टिप्पणी नहीं करेगा।

बुच ने कहा कि हमें सार्वजनिक रूप से इस मामले पर चर्चा करने की अनुमति नहीं है। हम सुप्रीम कोर्ट दिशा निर्देशों का पालन करेंगे।

इन प्रस्तावों पर लगी बोर्ड की मुहर

  • स्टॉक ब्रोकर्स द्वारा धोखाधड़ी या बाजार के दुरुपयोग को रोकने और पता लगाने के लिए एक संस्थागत तंत्र तैयार करने की रूपरेखा को मंजूरी।
  • प्राइवेट इक्विटी फंड्स यानी पीईएफ को म्यूचुअल फंड स्कीमों में स्पॉन्सर बनाने की इजाजत दी गई।
  • रजिस्टर्ड कंपनियों के निदेशक मंडल में स्थायी निदेशक पद पर लोगों के बने रहने की परंपरा को खत्म किया गया।
  • सेकेंडरी मार्केट में एएसबीए जैसी फैसिलिटी को लॉन्च किया जाएगा।

कंपनियों को पूरे करने होंगे मानदंड

चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने कहा कि सेबी ने म्यूचुअल फंडों के लिए निजी इक्विटी फर्मों को स्पॉन्सर बनाने के नियमों में बदलाव किया गया है। दरअसल, कोई भी कंपनी जिसकी म्यूचुअल फंड में 40 फीसदी या उससे अधिक हिस्सेधारी है, उसको स्पॉन्सर माना जाता है। ऐसे में बदले नियमों के तहत सभी मानदंड पूरे करने होंगे।

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बुच ने कहा कि आईपीओ में निवेशक एएसबीए के नियम के तहत निवेश करते हैं। इसमें निवेश की रकम को खाते में ब्लॉक कर दिया जाता है और उस पर ब्याज मिलता रहता है। इसलिए एसबीए जैसी फैसिलिटी को लॉन्च किया जाएगा।

क्या सेबी के पास असीमित शक्तियां हैं?

प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल हुआ कि हर कोई मानता है कि सेबी के पास असीमित शक्तियां हैं? इस सवाल के जवाब में बुच ने कहा कि ‘बॉस, ऐसा नहीं है’। हमारी संसद ने हमें कुछ नियम दिए हैं। हम ब्रह्मास्त्र की तरह के नियामक नहीं हैं। हमें यह जरूर बताया गया है कि हम एक अतिसक्रिय नियामक हैं।

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