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भाजपा का ये दांव चला तो अखिलेश को होगी मुश्किल

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UP Politics: उत्तर प्रदेश में भाजपा ने लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट चुकी है। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने पार्टी इकाई में खाली पड़े पदों को भरने के लिए जल्द संगठन में आंशिक बदलाव के संकेत दिए हैं। साथ ही अखिलेश यादव के खास दोस्त रहे ओम प्रकाश राजभर को NDA के पाले में लाने का बड़ा प्लान बनाया है।

2022 के विधानसभा चुनाव में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव की सपा से गठबंधन किया था। लेकिन चुनाव बाद राजभर ने यह कहकर गठबंधन तोड़ दिया था कि अखिलेश यादव एयर कंडीशन वाले नेता हैं। वे जमीन पर नहीं उतरते। इसलिए गठबंधन का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा।

जो विचारधारा से सहमत, वह साथ चले

यूपी भाजपा के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा, ‘कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा, बल्कि आंशिक सांगठनिक पुनर्गठन होगा।’ उन्होंने कहा, ‘भाजपा उसी को साथ लेगी जो उनकी विचारधारा से सहमत होगा। इसमें पूर्व सहयोगी सुहेलदेव ओमप्रकाश राजभर भी हैं। राजभरजी हमारे साथ रहे हैं। मुझे विश्वास है कि अगर वे साथ काम करना चाहते हैं तो पार्टी जरूर अवसर देगी।’

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संगठन में बदलाव के लिए मिली इजाजत

प्रदेश कमेटी गठित न होने के सवाल पर भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा कि मैं मंत्री था। मुझे पार्टी ने अध्यक्ष के रूप में काम करने का मौका दिया। संगठन के कुछ लोग सरकार में मंत्री बने हैं। जैसे शहरी विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा, परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह और सहकारिता ऋण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जे पी एस राठौर वर्तमान में पार्टी के पदों पर हैं। मंत्री बबीरानी मौर्य भी भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पदाधिकारी हैं।

इस वजह से मैंने संगठन में आंशिक बदलाव के लिए पार्टी नेतृत्व से निवेदन किया था। अब मुझे इजाजत मिल गई है। जल्द ही कुछ बदलाव देखने को मिलेंगे।

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सपा से अलग होते ही राजभर का भाजपा के प्रति नरम पड़ा रुख

2017 के विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश राजभर भाजपा के साथ थे। तब उन्हें चार सीटों पर जीत मिली थी। इसके बाद योगी सरकार ने उन्हें मंत्री बनाया था। लेकिन दो साल बाद ही उन्हें योगी सरकार ने बर्खास्त कर दिया था। 2022 के चुनाव में राजभर ने अखिलेश से हाथ मिलाया और उन्हें 6 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।

हालांकि, पिछले साल सपा से अलग होने के बाद राजभर का बीजेपी के प्रति रुख नरम पड़ता दिख रहा है। उनकी पार्टी ने पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार का समर्थन किया था।

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सभी 80 सीटें जीतने का रखा गया लक्ष्य

पिछले महीने भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भाजपा ने उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इसलिए पार्टी पुराने दोस्तों को NDA में शामिल करने की योजना बना रही है।

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