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अपनी मांगों को लेकर क्रमिक अनशन पर बैठे करूणामूलक संघ ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, निकाली रोष रैली

अपनी मांगों को लेकर क्रमिक अनशन पर बैठे करूणामूलक संघ ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, निकाली रोष रैली

शिमला|
हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विभागों, बोर्डों, निगमों में लंबित पड़े करुणामूलक आधार पर दी जानी वाली नौकरियों की नियुक्तियों को एकसाथ बहाल करने की मांगको लेकर राजधानी शिमला में करीब 110 दिनों से धरने पर बैठे करूणामूलक संघ ने मंगलवार को अपनी मांगों को लेकर सरकार के विरुद्ध रैली निकाली। इस दौरान उन्होंने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और चेतावनी देते हुए कहा कि अभी तो सरकार ने उपचुनावों में 4 सीटें ही हारीं हैं, लेकिन अगर अभी भी सरकार उनकी मांग नहीं मानती है तो आगामी विधानसभा चुनाव में सभी सीटों से भाजपा को हार का सामना करना पड़ेगा।

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संघ ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाकर उनके साथ भेदभाव की नीति अपनाने का आरोप लगाया है। करूणामूलक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार ने बताया कि संघ के पदाधिकारी मुख्य सचिव से भी मिल चुके हैं, लेकिन उनकी मांग पर कोई गौर नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि वह पिछले करीब 110 दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

अजय कुमार ने कहा कि 4500 करूणामूलक आश्रित रोजगार लेने के लिए पिछले लंबे समय से सरकार से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन सरकार मांगों को अनसुना कर रही है। सरकार लंबे समय से उन्हें केवल आश्वासन देती आई है और जब आश्रितों ने विभाग से जाकर बातचीत की तो हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी है। करूणामूलक आश्रित दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। सरकार न तो उन्हें नियुक्ति दे रही न ही कोई अन्य सहायता कर रही है। उन्होंने कहा कि यह क्रमिक अनशन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं कर लेती।

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गौर हो कि हिमाचल प्रदेश करुणामूलक संघ ने विभिन्न विभागों, बोर्डों, निगमों में लंबित पड़े करुणामूलक आधार पर दी जानी वाली नौकरियों की नियुक्तियों को एकसाथ बहाल करने की मांग उठा रहा है| करुणामूलक संघ 110 दिन से मांगों को लेकर कालीबाड़ी के पास रेन शेल्टर में क्रमिक अनशन पर बैठे हैं। संघ की मांग हैं कि सरकार करुणामूलक आधार पर नौकरियों वाली पॉलिसी में संशोधन करे। इसमें 62 हजार 500 एक सदस्य की सालाना आय सीमा और पांच फीसदी कोटा शर्त को हटाने और योग्यता के अनुसार सभी आश्रितों को बिना शर्त नौकरी देने की मांग को प्रमुख है।

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