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हिमाचल में सीमेंट प्लांट विवाद में हावी होती नज़र आ रही राजनीति

हिमाचल में सीमेंट पर सियासत तेज़: सरकार ने खत्म किया ACC अंबुजा से सिविल सप्लाई का करार

हिमाचल में सीमेंट प्लांट विवाद में हावी होती नज़र आ रही राजनीति, विवाद सुलझाने में कांग्रेस नाकाम तो भाजपा ने देने शुरू किए बयान।
प्रजासत्ता ब्यूरो|
हिमाचल प्रदेश में सीमेंट प्लांट विवाद को 45 दिन से ज्यादा का समय बीत चुका है। अब तक ये विवाद सुलझ नहीं पा रहा। अडानी समूह और ट्रक ऑपरेटर के बीच माल-भाड़े को लेकर अब तक कोई आपसी सहमति नहीं बन सकी है। अब करीब डेढ़ महीने का समय बीत जाने के बाद सीमेंट प्लांट के विवाद में राजनीति भी हावी होती नजर आ रही है। हिमाचल बीजेपी ने सीमेंट प्लांट विवाद मामले में अब सरकार को बैकफुट पर धकेलने की तैयारी कर ली है। लम्बे समय से इस विवाद से दूर भाग रही भाजपा ने भी अब इस पर राजनितिक बयानबाजी शुरू कर दी है।

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शुक्रवार को हिमाचल बीजेपी के अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने ट्रक ऑपरेटरों के प्रदर्शन में हिस्सा लिया। इस दौरान सुरेश कश्यप ने कहा कि कांग्रेस सरकार सीमेंट प्लांट विवाद को सुलझाने में नाकाम नजर आ रही है। यहां हिमाचल बीजेपी अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने ट्रक ऑपरेटर यूनियन की रोजी-रोटी का मुद्दा उठाया। हिमाचल बीजेपी अध्यक्ष सुरेश कश्यप के प्रदर्शन में शामिल होकर सरकार और उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रदेश सरकार इस मामले में राजनीति कर रही है।

हालांकि सत्ता पक्ष और उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बीजेपी अध्यक्ष सुरेश कश्यप पर हमला बोलते हुए
सीमेंट प्लांट विवाद मामले में राजनीति न करने की नसीहत दे दी। उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी इस मामले को सुलझाना चाहती, तो खुद उद्योग मंत्री या मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से आकर बात करती। उन्होंने तंज करते हुए कहा कि बीजेपी बता दे कि इस विवाद को किस तरह सुलझाना है,जैसा बीजेपी कहेगी,वैसा ही कांग्रेस सरकार करेगी।

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जहाँ सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों एक दुसरे पर आरोप प्रतारोप लगाने में व्यस्त है वही प्रभावित लोगों के सामने बेरोजगारी और रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। विवाद के कारण इस व्यवसाय से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े हुए हजारों परिवार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। ट्रक ऑपरेटरों ने बैंकों से ऋण लेकर अपने ट्रक डाले हैं। फैक्ट्री बंद हो जाने से ट्रक ऑपरेटर बैंको की किस्त नहीं दे पा रहे हैं। यदि सरकार ने शीघ्र समस्या का समाधान न किया तो ऑपरेटरों के आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हो जाएंगे। ट्रक ऑपरेटरों और चालकों को अपना घर चलाना और अपने बच्चों की स्कूल फीस तक देना तक मुश्किल हो गया है।

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