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जेएनयू में फिर से बवाल, सीएम एमके स्टालिन बाले-पेरियार, कार्ल मार्क्स जैसे नेताओं के चित्रों को तोड़ना निंदनीय

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JNU Clash: जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में एक बार फिर बड़ा बवाल शुरू हो गया है। छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के मौके ABVP और वामंपथी के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई है। ये मामला अब तुल ले रहा है। ‎तमिलनाडु‎ के सीएम एमके स्टालिन ने इसे लेकर बयान दिया है। एमके स्टालिन ने कहा कि विश्वविद्यालय केवल सीखने के लिए ही नहीं बल्कि चर्चा और बहस के लिए भी स्थान हैं। एबीवीपी द्वारा तमिल छात्रों पर कायराना हमला और जेएनयू में पेरियार, कार्ल मार्क्स जैसे नेताओं के चित्रों को तोड़ना निंदनीय है मैं विश्वविद्यालय प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग करता हूं।

मैं छात्रों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करता हूं-एमके स्टालिन 

टीएन सीएम एमके स्टालिन ने कहा कि जेएनयू और दिल्ली पुलिस के सुरक्षाकर्मियों ने अपने अधिकारों के लिए लड़ने वाले और केंद्रीय भाजपा शासन के आलोचक रहे छात्रों पर हुई हिंसा के लिए बार-बार मूक दर्शक बने रहे हैं। मैं छात्रों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करता हूं और वीसी से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का अनुरोध करता हूं।

ABVP JNU के सोशल मीडिया संयोजक कुमार आशुतोष ने कहा कि एबीवीपी सदस्यों ने जेएनयूएसयू कार्यालय में शिवाजी का चित्र रखा। वामपंथियों ने वहां आकर सारे चित्र हटा दिए और माला को कूड़ेदान में फेंक दिया और फिर मारपीट हो गई। इस दौरान 5-6 ABVP सदस्य भी घायल हुए।

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ABVP कार्यकर्ताओं ने बताया कि रविवार को छात्र गतिविधि केंद्र की दीवारों पर शिवाजी महाराज का चित्र लगाया गया था। ABVP कार्यकर्ताओं का आरोप है कि वामपंथी कार्यकर्ताओं के एक समूह की ओर से यहां पहुंचकर तोड़फोड़ की गई।

ABVP JNU के सचिव ने लगाए ये आरोप

ABVP JNU के सचिव उमेश चंद्र अजमेरा ने कहा, “आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती है। हमने छात्र गतिविधि केंद्र के बाहर दीवारों पर श्रद्धांजलि के रूप में शिवाजी महाराज का चित्र लगाया था।” अजमेरा ने ANI से बात करते हुए आरोप लगाया, “लेकिन जेएनयू के ‘कम्युनिस्ट’ इसे पचा नहीं पाए। ‘100 फ्लावर्स ग्रुप’ और एसएफआई के लोग आए और शिवाजी महाराज के चित्र को तोड़ दिया।”

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उन्होंने आगे आरोप लगाया कि इस घटना में शामिल लोगों में से कुछ बाहरी भी थे और बिना अनुमति के कॉलेज परिसर में प्रवेश कर गए थे। उन्होंने कहा कि जब हंगामा कर रहे आरोपियों को हमने रुकने के लिए कहा, तो उन्होंने कहा कि हम ऐसा करेंगे, हम उन पर (छत्रपति शिवाजी महाराज) विश्वास नहीं करते हैं, हम केवल मार्क्सवादी और लेनिनवादी विचारधारा में विश्वास करते हैं।



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