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Himachal Economic Crisis: हिमाचल पर आया बड़ा आर्थिक संकट! वित्तीय संकट से निपटना सुक्खू सरकार के लिए बड़ी चुनौती..

Himachal Economic Crisis: हिमाचल पर आया बड़ा आर्थिक संकट! वित्तीय संकट से निपटने सुक्खू सरकार के लिए बड़ी चुनौती..
Himachal Economic Crisis: हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब होती हुई नजर आ रही है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सत्र के दौरान इसकी जानकारी दी। उन्होंने राज्य की आर्थिक स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कई कारणों से राज्य की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक है।

राज्य की खराब आर्थिक स्थिति से निपटने के लिए उन्होंने खुद, अपने विधानसभा क्षेत्र के सदस्यों और मुख्य संसदीय सचिवों के साथ मिलकर अगले दो महीने तक अपना वेतन और भत्ते नहीं लेने का फैसला किया है। उन्होंने विधानसभा के अन्य सदस्यों से भी अपील की है कि वे स्वेच्छा से अपना वेतन और भत्ते छोड़कर राज्य के इस संकट में मदद करें।

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मुख्यमंत्री ने दावा किया कि केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि राज्य को नहीं मिली है।
बयान में कहा गया है कि, “राज्य की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है। इसके कई कारण हैं।

विधानसभा में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश का राजस्व घाटा अनुदान जो 8,058 करोड़ रुपये था, उसे घटाकर 6258 करोड़ रुपये कर दिया गया है। अगले साल यानी 2025-26 में इसे 3000 करोड़ रुपये घटाकर 3257 करोड़ रुपये कर दिया जाएगा।”

सीएम सुक्खू ने दावा किया कि PDNA के करीब 9042 करोड़ रुपये में से केंद्र सरकार ने राज्य को कोई राशि नहीं भेजी है। उन्होंने कहा गया है कि PDRDA से NPS के अंशदान की राशि भी राज्य सरकार को नहीं मिली है। इसके अलावा, सीएम का दावा है कि राज्य के लिए जीएसटी मुआवजा 2022 के बाद बंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि, “PFRDA से लगभग 9,200 करोड़ रुपये का एनपीएस योगदान केंद्र सरकार से प्राप्त नहीं हुआ है। 2022 से जीएसटी मुआवजा रोक दिया गया है, और इस वजह से राज्य के लिए लगभग 2500-3000 रुपये कम हो गए हैं। ओपीएस की वजह से राज्य की उधारी भी लगभग 2000 करोड़ रुपये कम हो गई है। इन समस्याओं से आगे निकलना आसान नहीं है।”

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एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए, सुक्खू ने पिछली भाजपा राज्य सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि, “राज्य की स्थिति अच्छी नहीं है, और अगर कोई इसके लिए जिम्मेदार है, तो वह पिछली भाजपा सरकार है। उन्हें 15 वें वित्त आयोग के अनुसार राजस्व घाटा अनुदान से लगभग 10,000 करोड़ रुपये मिले थे, और तब से यह अनुदान कम हो रहा है।

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