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HP Ambulance Workers Strike: धर्मपुर में गरजे 108-102 एंबुलेंस कर्मचारी, कम वेतन और प्रताड़ना के खिलाफ प्रदर्शन..!

HP Ambulance Workers Strike: धर्मपुर में गरजे 108-102 एंबुलेंस कर्मचारी, कम वेतन और प्रताड़ना के खिलाफ प्रदर्शन..!

HP Ambulance Workers Strike: हिमाचल प्रदेश में मंगलवार रात 8 बजे से 108 और 102 एंबुलेंस सेवाएं पूरी तरह ठप हैं, क्योंकि प्रदेश के 1400 से अधिक एंबुलेंस कर्मचारी 24 घंटे की हड़ताल पर हैं। इसी क्रम में बुधवार को सोलन जिला के धर्मपुर में सेवा प्रदाता कंपनी मेडस्वान फाउंडेशन के दफ्तर के बाहर एंबुलेंस कर्मचारियों ने प्रदर्शन करते हुए जमकर नारेबाजी भी की।

बता दें कि प्रदेशभर से कर्मचारी धर्मपुर पहुंचे और धर्मपुर बाजार से सीटू के बैनर तले मुख्य दफ्तर तक विरोध रैली निकाली। उल्लेखनीय है कि इस हड़ताल के कारण आपातकालीन स्थिति में मरीजों को एंबुलेंस नहीं मिल पा रही है, जिससे अस्पतालों में मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारी बुधवार रात 8 बजे तक काम पर नहीं लौटेंगे।

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गौरतलब है कि एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन, जो सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) से संबद्ध है, लंबे समय से न्यूनतम वेतन, बेहतर सुविधाओं और नौकरी में स्थायी नीति की मांग कर रही है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के जनवरी 2020 के आदेश के अनुसार न्यूनतम वेतन (17,000 रुपये मासिक) की मांग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी भी 11,300 रुपये का कम मानदेय दिया जा रहा है, जबकि कई कर्मचारी 10-15 साल से इसमें अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

यूनियन ने आरोप लगाया कि मेडस्वान फाउंडेशन और पूर्व में जीवीके कंपनी ने कर्मचारियों का शोषण किया है। 12-12 घंटे की ड्यूटी, बिना ओवरटाइम वेतन, छुट्टियों की कमी, और बकाया एरियर्स का भुगतान न होना कर्मचारियों की मुख्य मांगों में शामिल है।

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वहीँ 108 और 102 एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन के प्रधान सुनील दत्त ने बताया कि लेबर कोर्ट ने कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 17,235 रुपये तय किया है, लेकिन 12 घंटे की कठिन ड्यूटी के बावजूद उन्हें केवल 11,700 रुपये मासिक वेतन दिया जा रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि कर्मचारियों को न केवल कम वेतन दिया जा रहा है, बल्कि समय पर वेतन और छुट्टियां भी नहीं मिल रही हैं। सुनील दत्त ने कहा, “कंपनी और सरकार हमारी मांगों को लगातार अनदेखा कर रही है। कर्मचारियों को प्रताड़ित किया जा रहा है, और 10-15 साल की नौकरी के बाद भी हमें उचित सम्मान और सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।”

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