Himachal Drug Alert: केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के सितंबर 2025 के ड्रग अलर्ट में देश भर की 112 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। इसमें हिमाचल में बनी 49 दवाओं के सैंपल गुणवत्ता के मानकों पर खरे नहीं उतरे। इनमें कफ सीरप, दिल की बीमारी, कैंसर, मधुमेह, हाई बीपी, दमा और दर्द जैसी गंभीर बीमारियों की दवाएं शामिल हैं। एक कफ सीरप तो नकली भी पाया गया है।
सीडीएससीओ की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में 113 दवाओं के सैंपल फेल हुए, जिनमें हिमाचल की 49 दवाएं हैं। गुजरात की 16, उत्तराखंड की 12, पंजाब की 11, मध्य प्रदेश की 6 और अन्य राज्यों की कुछ दवाएं भी इस सूची में हैं। हिमाचल के सिरमौर और बद्दी जैसे इलाकों में बने दवा उद्योगों की कई दवाएं जांच में नाकाम रही हैं। खासतौर पर, सिरमौर में बना एक कफ सीरप ‘बेस्टो-कफ ड्राई कफ फार्मूला’ नकली होने की आशंका में है और इसकी जांच चल रही है।
हिमाचल के बद्दी में स्थित एफी पेरेंटल्स उद्योग, जो डब्ल्यूएचओ, जीएमपी और आईएसओ प्रमाणित है, की 8 दवाएं फेल हुईं। इनमें हाई बीपी की दवा टेलमिसार्टन के 3 सैंपल, कीमोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाला ओंडांसट्रन इंजेक्शन और पेट के कीड़े मारने वाली एलबेंडाजोल की 4 सैंपल शामिल हैं।
इसी तरह, सिरमौर के जी लैबोरेट्रीज की दिल का दौरा रोकने वाली दवा क्लापीडोग्रिल एंड एस्प्रिन (75 एमजी) का सैंपल फेल हुआ। बद्दी के बैनट फार्मास्यूटिकल की हाई बीपी और दिल की बीमारी की दवा टेलमिसार्टन और सिरमौर के प्रोटेक टेलीलिंक का सर्जरी में इस्तेमाल होने वाला बूपीवाकेन एनेस्थीसिया इंजेक्शन भी गुणवत्ता में नाकाम रहा। सिरमौर के उपकार फार्मास्यूटिकल की बच्चों और बड़ों के लिए जीवाणु संक्रमण की दवा सिफोडोक्सिम प्रोजिक्टिल भी फेल हो गई।
सीडीएससीओ की ड्रग अलर्ट रिपोर्ट के अनुसार, 80 से 90 प्रतिशत दवा सैंपल असफल होने का मुख्य कारण यह है कि दवाओं का निर्माण भारतीय फार्माकोपिया (आईपी) और पीएच मानकों के अनुरूप नहीं हो रहा है, जिसके चलते उन्हें असफल घोषित किया जा रहा है। दवाओं के असफल होने की वजहों में निम्न गुणवत्ता वाला कच्चा माल और निर्धारित तापमान पर दवाओं का भंडारण न करना शामिल है।
हिमाचल के दवा नियंत्रक डॉ. मनीष कपूर का कहना है कि ज्यादातर दवाओं में छोटी-मोटी कमियां पाई गईं, जिन्हें तुरंत ठीक करवाया जा रहा है। लेकिन कुछ दवाओं में बड़ी खामियां हैं, जिनके लिए उद्योगों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। साथ ही, फेल हुए बैच की सभी दवाओं को बाजार से वापस मंगवाया जाएगा। इसके अलावा दवा उद्योगों की मोनिटरिंग और बढाई जाएगी।











