प्रजासत्ता|
मीडिया ग्रुप दैनिक भास्कर के देशभर के कई ऑफिसों में गुरुवार सुबह इनकम टैक्स के छापे मारे गए| न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी कि अधिकारियों ने दैनिक भास्कर के दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के ऑफिस परिसरों की तलाशी ली| ग्रुप के प्रमोटर्स के घरों और ऑफिसों पर भी छापेमारी की गई|
गौर हो कि कोरोनाकाल में दैनिक भास्कर ने अपने रिपोर्टिंग को लेकर सभी का ध्याना खींचा था। जहां मीडिया का एक बड़ा तबका सरकार को संरक्षण दे रहा था वही दैनिक भास्कर अपनी ग्राउंड रिपोर्ट के माध्यम से ज़मीनी हक़ीक़त सामने ला रहा था। इसलिए इस समय दैनिक भास्कर पर छापे को उस से जोड़ कर देखा जा रहा है। इस छापे के बाद से सोशल मीडिया पर लोग अखबार के समर्थन में खड़े होते नजर आ रहे हैं।
बता दें कि देश के सबसे बड़े अखबार समूहों में से एक, दैनिक भास्कर ने अप्रैल-मई माह में कोविड-19 की दूसरी लहर में बड़े पैमाने पर तबाही की मुखरता से रिपोर्टिंग की थी.भास्कर ने कोरोना महामारी के दौरान आधिकारिक दावों पर आलोचनात्मक रुख वाली रिपोर्टों की एक सीरीज प्रकाशित की थी, इसमें ऑक्सीजन, हॉस्पिटल बेड और वैक्सीन की कमी के कारण लोगों को हुई भारी परेशानी को हाईलाइट किया गया था|
इसकी कवरेज ने यूपी और बिहार के कस्बों में गंगा नदी में तैरते कोविड प्रभावितों के शवों की भयावह स्थिति को उजागर किया था, संभवत: शवों के अंतिम संस्कार करने के लिए साधनों की कमी के कारण ऐसा किया गया| रिपोर्टिंग में यूपी में गंगा नदी कि किनारे पर उथली कब्रों में दफन शवों के बारे में भी खुलासा था|
वहीँ इस सारे घटनाक्रम को लेकर दैनिक भास्कर ने एक ख़बर के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया दी है जिसका शीर्षक “सच्ची पत्रकारिता से डरी सरकार:गंगा में लाशों से लेकर कोरोना से मौतों के सही आंकड़े देश के सामने रखने वाले भास्कर ग्रुप पर सरकार की दबिश”
भास्कर ने खबर में लिखा है कि “कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश के सामने सरकारी खामियों की असल तस्वीर रखने वाले दैनिक भास्कर ग्रुप पर सरकार ने दबिश डाली है। भास्कर समूह के कई दफ्तरों पर गुरुवार तड़के इनकम टैक्स विभाग ने छापा मारा है। विभाग की टीमें दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान स्थित दफ्तरों पर पहुंची हैं और कार्रवाई जारी है।
इसके साथ ही आईटी टीम ने भास्कर में काम करने वाले कई लोगों के घरों पर भी रेड की है। दफ्तरों में मौजूद कर्मचारियों के मोबाइल जब्त कर लिए गए हैं और उन्हें बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है। नाइट शिफ्ट के लोगों को भी दफ्तर से बाहर जाने से रोक दिया गया है। रेड में शामिल अधिकारियों का कहना है कि वो इनके प्रोसेस का हिस्सा है और पंचनामा होने के बाद इन्हें जाने दिया जा रहा है। डिजिटल की नाइट टीम दोपहर साढ़े बारह बजे रिलीज की गई।
भोपाल और अहमदाबाद समेत जहां-जहां छापेमारी हुई है वहां भास्कर की डिजिटल विंग में कई महिला कर्मचारी भी काम पर मौजूद हैं। टीम के आला अधिकारियों ने अब तक इस कार्रवाई का कोई कारण साफ नहीं किया है।
हमारी पत्रकारिता से क्यों डर रही सरकार, बस कुछ नजीर देख लीजिए…
दूसरी लहर के दौरान 6 महीने तक भास्कर ने देश और कोरोना प्रभावित प्रमुख राज्यों में असल हालात को पूरे दमखम के साथ देश के सामने रखा है। गंगा में लाशें बहाए जाने का मामला हो या फिर कोरोना से होने वाली मौतों को छिपाने का खेल, भास्कर ने निडर पत्रकारिता दिखाई और जनता के सामने सच ही रखा।”