CAG Report: हिमाचल प्रदेश में शराब वितरण और राजस्व प्रणाली को लेकर कैग (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की एक नई रिपोर्ट ने चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021-22 के दौरान प्रदेश के चार जिलों – शिमला, ऊना, बद्दी और नूरपुर – में करीब 9.71 करोड़ रुपये मूल्य की शराब की चोरी का संदेह है। यह खुलासा थोक विक्रेताओं की बिक्री और खुदरा दुकानों द्वारा उठाए गए स्टॉक के आंकड़ों में बड़े अंतर से हुआ है।
जांच में पता चला कि इंडियन मेड फॉरेन लिकर, कंट्री लिकर और बीयर की सप्लाई चेन में गंभीर विसंगतियां थीं। मसलन, थोक विक्रेताओं के रिकॉर्ड के मुकाबले खुदरा विक्रेताओं के पास इंडियन मेड फॉरेन लिकर 1.26 लाख प्रूफ लीटर कम थी, कंट्री लिकर 1.38 लाख प्रूफ लीटर कम थी और बीयर 1.16 लाख बल्क लीटर कम पाई गई।
कैग ने इन कमियों को सीधे तौर पर चोरी की श्रेणी में रखा है। रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी एक बड़ी वजह यह है कि थोक विक्रेताओं से माल भेजे जाने और खुदरा दुकानों पर उसकी रसीद मिलने की प्रक्रिया की आपस में क्रॉस-जांच के लिए कोई एकीकृत और स्वचालित प्रणाली मौजूद नहीं थी। इसी चूक ने शराब की हेराफेरी और राजस्व की भारी हानि का रास्ता खोल दिया।
हालांकि राज्य की एक्साइज नीति स्पष्ट है कि खुदरा विक्रेता कंट्री लिकर केवल अधिकृत एल-13 थोक दुकानों से और इंडियन मेड फॉरेन लिकर व बीयर केवल एल-वन लाइसेंस धारकों से ही ले सकते हैं, लेकिन इन लेन-देनों की प्रभावी निगरानी न होने से यह नियम कागजी साबित हुए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विभाग के पास थोक और खुदरा बिक्री के आंकड़ों की तुलना करने वाला कोई एकीकृत डिजिटल सिस्टम नहीं होने से यह धांधली संभव हुई। विभाग ने सितंबर 2021 से फरवरी 2022 के बीच आंकड़ों का मिलान करने का आश्वासन दिया था और मार्च 2023 में दो जिलों से 15.38 लाख रुपये की वसूली की सूचना दी थी। हालांकि, इस पूरे मामले की जानकारी दिसंबर 2022 में राज्य सरकार को भेजे जाने के बाद भी जनवरी 2025 तक कोई ठोस जवाबी कार्रवाई या स्पष्टीकरण नहीं मिला है। यह स्थिति प्रशासनिक जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करती है।










