अमित ठाकुर | परवाणू
परवाणू में 2012 में सरकार द्वारा आई.एच.एस.डी.पी. स्कीम के तहत 192 मकान बनाये गए थे जो की नगर परिषद एरिया में रहने वाले गरीबों दिए जाने थे ! हैरानी की बात यह है की पिछले 9 वर्षों में नगर परिषद् परवाणू को इसके लिए केवल 59 पात्र ही मिले हैं ! यह जानकारी प्रेस विग्यप्ति द्वारा शिरडी साई बाबा भक्त संगठन के प्रदेशाध्यक्ष व् समाजसेवी सतीश बेरी ने दी ! सतीश बेरी ने कहा की नगरपरिषद की लापरवाही के चलते जनता की मेहनत का पैसा व् सरकार द्वारा इन मकानों पर खर्च किया गया करोड़ों रुपया मिटटी हो रहा है ! खाली पड़े मकान आवारा पशुओं , जुआरियों व् नशे करने वाले असमाजिक तत्वों का अड्डा बन चुके हैं ! यहाँ तक की शरारती तत्वों द्वारा मकानों में तोड़ फोड़ कर आवशयक समान भी चुरा लिया गया है ! बेरी ने बताया की उनके द्वारा माननीय मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखकर इस मामले से अवगत कराया गया है जिसमे उन्होंने नप द्वारा सरकार को होने वाले नुक्सान का आकलन भी किया था ! उन्होंने बताया की यदि नगर परिषद द्वारा इसे किराये पर दिया जाता तो मासिक 133×5000 = 665000 रूपये व् सालाना 7980000 रूपये की आमदनी होती है ! यह पैसा हर वर्ष शहर के अन्य विकास कार्यों में लगया जा सकता है तथा यदि आज के दाम से इन्हे बेचा जाये तो 8 लाख रूपये के हिसाब से बेचा जा सकता है ! इस प्रकार नप को 800000×133 = 106400000 रूपये की प्राप्त होते हैं जो शहर के विकास व् अन्य आमदन के साधनो पर खर्च किया जा सकता है ! नप द्वारा ऐसा करने पर उन्हें सरकार से मदद की जरूरत भी नहीं पड़ेगी तथा शहर का सौन्दर्यकरण भी किया जा सकेगा ! परन्तु नगर परिषद की लापरवाही के चलते यह संसाधन व् पैसा दोनों खंडहर होते जा रहे हैं ! उन्होंने कहा की नगर परिषद को इन्हे बेचने के निर्देश 2 वर्ष पूर्व निर्देशक शहरी विकास द्वारा किये गए थे परन्तु निजी स्वार्थ के चलते तत्कालीन अध्यक्ष व् पार्षदों ने उस पर कोई अमल नहीं किया गया !
लोगों की मेहनत का पैसा व सरकार का करोड़ों रुपया हो रहा मिटटी :- सतीश बैरी
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