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एचपीयू में एसएफआई कार्यकर्ताओं का उग्र प्रदर्शन, वीसी की गाड़ी के आगे लेटे

एसएफआई विश्वविद्यालय इकाई ने विश्वविद्यालय के अंदर उग्र प्रदर्शन किया

शिमला|
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में SFI कार्यकर्ता रजिस्ट्रार सिकंदर कुमार की गाड़ी आगे लेट गए। पुलिस ने जबरन कार्यकर्ताओं को उठाया। इस दौरान जमकर धक्का-मुक्की हुई। SFI का आरोप है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर एचपीयू के कार्यक्रम में RSS के लोगों को बुलाया गया है। एसएफआई कैंपस सचिव रॉकी ने बताया कि आज का दिन विश्वविद्यालय के इतिहास का एक काले दिन के रूप में याद रखा जाएगा। जहां पर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की पूरी मान मर्यादा प्रतिष्ठा को ताक पर रखते हुए सरकारी संसाधनों का उपयोग आर एस एस की बैठक को आयोजित करने के लिए किया गया।

आज विश्वविद्यालय के अंदर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी की पुण्यतिथि के अवसर पर विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा एक समारोह का आयोजन किया जाता है और उस समारोह के अंदर सिर्फ आर एस एस और उससे संबंधित कर्मचारियों को ही समारोह के अंदर बुलाया गया था और विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार के द्वारा जो अधिसूचना जारी की गई थी उसमें एबीवीपी को विशेष तौर पर आमंत्रित किया था क्योंकि एबीवीपी एकमात्र ऐसा छात्र संगठन था जब वाइस चांसलर की योग्यता के ऊपर सवाल खड़े हुए तो वह संगठन ढाल बनकर सिकन्दर कुमारके साथ खड़ा रहा। एसएफआई ने इस पूरे कार्यक्रम पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय का कार्यक्रम ना लगकर भाजपा और आरएसएस का कार्यक्रम लग रहा था। सवाल उठना जायज है की अगर आर एस एस का यह कार्यक्रम था तो विश्वविद्यालय के संसाधनों का दुरुपयोग इसके अंदर क्यों किया गया? और अगर विश्वविद्यालय का कार्यक्रम था तो क्यों नहीं विश्वविद्यालय के सभी छात्र संगठनों के प्रतिनिधियों को वहां पर बुलाया गया।

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अभी 2 दिन पहले विश्वविद्यालय के अंदर कर्मचारियों के चुनाव होते हैं जिसके अंदर जो चुने हुए उम्मीदवार होते हैं उनको उस कार्यक्रम का हिस्सा ही नही बनाया गया यहां तक कि उनको आमंत्रित तक नहीं किया गया बल्कि जो हारे हुए भाजपा के उम्मीदवार थे उनको इस कार्यक्रम के अंदर शामिल किया जाता है और जब एसएफआई ने इस बात का स्पष्टीकरण उप कुलपति सिकंदर कुमार से से लेना चाहा तो उन्होंने अपनी हेकड़ी दिखाते हुए बात करना तो दूर वो अपनी गाड़ी से नीचे तक नहीं उतरे और एसएफआई के द्वारा दिए गए ज्ञापन को लेने से इनकार कर दिया। तब वहां पर एसएफआई के छात्रों और पुलिस अधिकारियों के बीच में धक्का-मुक्की भी हुई और जिसमें छात्रों को मामूली चोटें भी आई है। जब एसएचओ बालूगंज ने इस मामले को लेकर प्रशासन और छात्रों के बीच में समन्वय बैठाने की पहल की तो सिकंदर कुमार ने अपनी हठधर्मिता का परिचय देते हुए बड़े बेअदबी से उनसे बात की।

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और इससे बड़ी हैरानी की बात यह थी की इस कार्यक्रम के अंदर भाजपा के संगठन मंत्री पवन राणा को भी आमंत्रित किया गया था जो यह साफ तौर पर दर्शाता है की उप कुलपति सिकंदर कुमार अपने आकाओं को खुश करने के लिए किसी भी हद तक गुजरने को तैयार है चाहे वह विश्वविद्यालय की गरिमा और प्रतिष्ठा को दांव पर रखने की बात हो। जो विश्वविद्यालय का इतिहास था उसको दरकिनार करते हुए इस कार्यक्रम को विश्वविद्यालय के अंदर किया गया। एसएफआई ने सवाल उठाया कि आज से पहले इतिहास के अंदर विश्वविद्यालय के अंदर किसी भी प्रधानमंत्री की पुण्यतिथि है जयंती नहीं बनाएगी लेकिन पिछले लंबे समय से अपने भगवाकरण के एजेंडे को लागू करते हुए विश्वविद्यालय के अंदर हेलो अटल बिहारी वाजपेई की मूर्ति स्थापित की जाती है और उसके बाद उनके पुण्यतिथि को बहाना आयोजन वहां पर किया जाता है।

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एसएफआई ने साफ तौर पर आरोप लगाया कि यह आर एस एस की बैठक बुलाई गई थी और एसएफआई इसकी कड़ी निंदा करती है। इसके अंदर एसएफआई ने साफ तौर पर चेतावनी दी एक और जहां वीसी की योग्यता सवालों के घेरे के अंदर है उसमें तमाम साक्ष्यों को उठाते हुए एसएफआई इस मामले को हाईकोर्ट के अंदर ले जाएगी और जितने भी शिक्षक गैर शिक्षक भर्तियों के अंदर घोटाले हुए उन तमाम तथ्यों को मध्य नजर रखते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा और इस कैंपस के अंदर आम छात्रों को लामबंद करते हुए उग्र आंदोलन लड़ेगी।

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