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आखिरकार हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस क्यों कर रही है ईवीएम की रखवाली

आखिरकार हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस क्यों कर रही है ईवीएम की रखवाली

सुभाष कुमार गौतम/घुमारवीं
ऐसा क्या हुआ जिस कारण हिमाचल प्रदेश में प्रशासन भी बना रहा मूक दर्शक क्या ईवीएम से छेड़छाड़ संभव है
हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव 12 दिसम्बर को हुए और वोटिंग मशीनों को सुरक्षित स्थानों पर थ्री लेयर सुरक्षा के बीच रखा गया लेकिन कुछ ही दिनों बाद इसके नजदीक एक तथाकथित पत्रकार ने स्ट्रांग रूम में जाकर ईवीएम की फोटो खींच डाली पत्रकार पर यह आरोप कांग्रेस के उम्मीदवार राजेश धर्माणी ने लगाया है कि वह भाजपा के बड़े नेता का संबंधी है और यह मामला घुमारवीं में बने स्ट्रांग रूम राजकीय स्वामी विवेकानंद महाविद्यालय घुमारवीं कलरी का है उम्मीदवार राजेश धर्माणी ने आरोप लगाया है कि जिस सुरक्षा गार्ड ने उसे रोकने की जुरत की थी उसे वहां से तत्काल ही बदल दिया गया और कालेज के एक क्लर्क और पीयन की मिलीभगत के चलते स्ट्रांग रूम तक पहुंचा और फोटो लिया गया मामला यहीं खत्म नहीं हुआ इसका परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस के उम्मीदवार राजेश धर्माणी को इस बात का पता चला और उन्होंने इस मामले के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग पुलिस प्रशासन से की लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला और जिस कारण अगले दिन कालेज में धरना प्रदर्शन करना पड़ा यह घटना 15 नवम्बर की है और 16 को धरना दिया गया साथ ही यह निर्णय लिया गया की ईवीएम की मशीनों से कोई छेड़छाड़ ना हो इसलिए कालेज के पास वर्करों ने तम्बू गाड़ कर ठीकरी पहरा लगा दिया मतलब 24 आवर वर्कर दिन रात पहरा देंगे इस तरह मशीनों के पास जाने की और फोटो खिंचने की बात पूरे प्रदेश में आग की तरह फैल गई परिणाम हुआ कि धर्मपुर और अन्य स्ट्रांग रूम के पास कोई ना आए कांग्रेस खुद पहरा देने लगी सवाल यह खड़ा हो जाता है कि बिना किसी परमीशन के एक पत्रकार कैसे अंदर चला गया जबकि प्रशासन कहता है कि हमने थ्री लेयर सुरक्षा लगा रखी है कांग्रेस के लोगों का मानना है कि भाजपा के राज में कुछ भी संभव है आजकल ऐसे ऐसे टैक्नीक है कि मशीनों को कहीं से भी हैक किया जा सकता है और हो सकता है कि फोटो इस लिए लिए गए हो कि मशीनों का कोई कोड़ होता हो जिसको देखकर ही शातिर मशीनों को हैक करते हों क्योंकि आजकल एडवांस टेक्नोलॉजी का समय है और इसके बहुत उदाहरण है जिस कारण लोगों के साथ ठगी होती रही है बहरहाल इस बात को तय किया जाना प्रशासन का काम था कि कोई भी व्यक्ति स्ट्रांग रूम में अंदर नहीं जाता लेकिन ऐसा हुआ ही नहीं क्योंकि किसीने इसकी जवाबदेही ली ही नहीं ना संतुष्ट करने वाला जवाब दें सके

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