शिमला ब्यूरो|
हिमाचल प्रदेश में कानून तोड़कर ट्यूबवेल लगाने वालों, भूजल स्त्रोत से हासिल होने वाले पीने योग्य पानी की बर्बादी या बेवजह इस्तेमाल करने पर अब किसी को भी जेल नहीं होगी बल्कि भूजल का दुरुपयोग करने वालों को 10 लाख रुपये जुर्माना देना पड़ेगा। प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने वीरवार को इस संबंध में हिमाचल प्रदेश भूगर्भ जल विकास और प्रबंधन का विनियमन और नियंत्रण संशोधन विधेयक 2023 को सदन में पारित करने का प्रस्ताव किया। इसके लिए 2005 के अधिनियम की धारा- 21 में संशोधन का प्रस्ताव को ध्वनी मत से पारित कर दिया गया।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने इस विधेयक को पारित करने के लिए सदन में रखा और लंबी चर्चा के बाद सदन ने इसे ध्वनिमत से पास कर दिया। विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए उप मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कानून पुराना है और इसकी केवल धारा 21 में बदलाव किया जा रहा है और भूजल का दुरुपयोग करने पर अब पांच साल की कैद के बजाय सिर्फ जुर्माने का प्रावधान होगा। उन्होंने न्हों कहा कि जुर्माने की राशि अधिकतम 10 लाख रुपये होगी। उन्होंने ने कहा कि कृषि और बागवानी को इस कानून में शामिल नहीं किया गया है और पेयजल अथवा सिंचाई के लिए प्रयुक्त होने वाला पानी इस कानून के दायरे में नहीं आएगा।
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि कानून में इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में औद्योगिक निवेश को आकर्षित करना है। क्योंकि कैद की सजा के प्रावधान के चलते बड़ी संख्या में उद्योगपति हिमाचल आने से कतरा रहे थे। मुकेश ने कहा कि ये पुराना कानून है। जुर्माने में कोई बढ़ोतरी नहीं है। ये उतना ही यानी दस लाख है। सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि न तो हैंडपंप और किसानी-बागवानी पर यह जुर्माना होगा। यह उद्योगों के लिए ही होगा।
इससे पूर्व, विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि विधेयक को बहुत जल्दबाजी में लाया गया है और इसके नतीजे गंभीर होंगे। उन्होंने कहा कि वाणिज्यिक इस्तेमाल में सजा का प्रावधान करें।उन्होंने कहा कि नए विधेयक में जुर्माना दोगुना कर, कैद को हटा दिया। वाणिज्यिक यूनिट लगाने वाले के लिए 10 लाख कुछ भी नहीं हैं। कैद का प्रावधान हटाया है। इससे एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव रहता था। कैद बेशक पांच नहीं, दो साल करें। अधिकांश सदस्यों से सुझाव यही आ रहे हैं कि गांव में रहने वाले किसान और बागवान के लिए इसे न करें। पैसा इसमें मायने नहीं रखता है।
विधायक हंस राज ने कहा कि भूजल के दुरुपयोग पर उद्योगपतियों को दस लाख रुपये का जुर्माना कम है। उन्होंने कैद की सजा को बरकरार रखने और विधेयक को सिलेक्ट कमेटी को भेजने की सलाह दी।
विधायक सुखराम चौधरी ने असिंचित क्षेत्र को इस कानून से बाहर रखने की सलाह दी।
विधायक विनोद कुमार ने कहा कि जिन क्षेत्रों में पानी की कमी है, उन्हें इस अधिनियम से बाहर रखा जाना चाहिए।
विधायक डॉ. जनक राज ने आर्थिक जुर्माने के साथ-साथ ट्यूबवेल लगाने के लिए नियमों के सरलीकरण का सुझाव दिया।
भाजपा विधायक त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति हैंडपप लगाए और अपनी पानी की पूर्ति को पूरा करने के लिए ऐसा करे तो उसे भी जुर्माना लगाए तो यह सही नहीं होगा।
विधायक केएल ठाकुर ने कहा कि पानी के रिचार्ज पर ध्यान रखने की जरूरत थी। वरना बड़ी दिक्कत हो जाएगी। 10 लाख का जुर्माना आदमी के लिए ज्यादा होगा। उद्योगपति इसका ज्यादा दोहन कर सकते हैं।











